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शादी में मिला सोने का गिफ्ट बन सकता है टैक्स का कारण, जानें आयकर नियमों की पूरी जानकारी

Gold gift received at the time of marriage can become a reason for tax, know the complete information of income tax rules

नई दिल्ली: अगर आपको शादी, जन्मदिन या किसी खास मौके पर गिफ्ट में सोने की ज्वैलरी या डिजिटल गोल्ड मिला है, तो यह खुशी महंगी पड़ सकती है। आयकर कानून के अनुसार अगर किसी उपहार की कीमत 50,000 रुपये से अधिक है, तो वह टैक्स के दायरे में आ सकता है। खासकर जब उपहार किसी गैर-रिश्तेदार से मिला हो।

गिफ्ट में मिला सोना टैक्स योग्य क्यों है?

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 56(2)(x) के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को 50,000 रुपये से अधिक कीमत का उपहार मिलता है—चाहे वह नकद हो या संपत्ति (सोना, चांदी, डिजिटल गोल्ड आदि)—तो वह आय के रूप में गिना जाता है और उस पर टैक्स देना होता है। हालांकि, अगर उपहार आपके निर्दिष्ट रिश्तेदारों से मिला है, तो वह टैक्स फ्री होता है।

किन रिश्तेदारों से मिला गिफ्ट टैक्स फ्री है?

यदि उपहार पति/पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन, बच्चों, दादा-दादी, पोते-पोतियों आदि से प्राप्त होता है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना होता। लेकिन दोस्तों, सहकर्मियों या दूर के रिश्तेदारों से मिला सोना अगर 50,000 रुपये से अधिक का है, तो उसकी घोषणा करना जरूरी है और उस पर टैक्स भी देना होगा।

सोने की बिक्री पर भी लगता है टैक्स

यदि आप उपहार में मिले सोने को बाद में बेचते हैं, तो उस पर कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। यदि आपने सोना तीन साल से पहले बेचा, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (STCG) लगेगा, जो आपकी आयकर स्लैब के अनुसार होगा। यदि बिक्री तीन साल के बाद होती है, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स (LTCG) 20% की दर से लगेगा, साथ ही 4% सेस भी जोड़ा जाएगा।

डिजिटल गोल्ड और SGB के टैक्स नियम

डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF और म्यूचुअल फंड्स पर भी यही टैक्स नियम लागू होते हैं। वहीं, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को अगर आठ साल तक होल्ड किया जाए तो उस पर कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता, लेकिन इस पर मिलने वाला सालाना 2.5% ब्याज कर योग्य आय में गिना जाएगा।

गिफ्ट में मिला सोना भले ही सौगात हो, लेकिन यह टैक्स की नजर से छिपा नहीं रह सकता। सही जानकारी और योजना से आप कानूनी जटिलताओं से बच सकते हैं और वित्तीय रूप से सजग रह सकते हैं।

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