उत्तराखंड

देहरादून में महाराष्ट्र समाज सेवा समिति का गणेशोत्सव, परंपरा और संस्कृति का संगम

Ganeshotsav of Maharashtra Samaj Seva Samiti in Dehradun, a confluence of tradition and culture

देहरादून: उत्तराखंड की धरती पर महाराष्ट्र समाज सेवा समिति पिछले सात दशकों से मराठी संस्कृति और परंपराओं को सहेजने का कार्य कर रही है। इस वर्ष भी समिति द्वारा सार्वजनिक गणेशोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। ललित पैलेस में पहली बार गणेश स्थापना और पूजा सम्पन्न हुई, जिसने महाराष्ट्र समाज के लोगों को एक बार फिर एकजुट किया।

स्थापना और इतिहास

महाराष्ट्र समाज सेवा समिति की स्थापना सन 1952 में श्रीमती सुधा कुंटे और श्रीमती दीक्षित ने की थी। वर्तमान में समिति के अध्यक्ष श्री हरिभाऊ मरकळे और सचिव श्री अनिरुद्ध देशमुख हैं। समिति का इतिहास और योगदान काफी पुराना है। वर्ष 1940 में FRI में कार्यरत कै. श्रीमती सरयू ताई पुणतांबेकर ने अपने निवास पर सहमित्रों के साथ छोटे स्तर पर आयोजन शुरू किया था। इसके बाद 1952 में मधुकर वारे, श्री सुखटणकर, श्री बडोदकर, श्रीमती कुंटे और श्रीमती दीक्षित के प्रयासों से सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत हुई।

परंपरा को आगे बढ़ाने वालों का योगदान

समिति की परंपरा को आगे बढ़ाने में कई नाम जुड़े रहे। ओएनजीसी, FRI, DRDO और सर्वे ऑफ इंडिया जैसी संस्थाओं से जुड़े पदाधिकारी और कर्मचारी इसमें सक्रिय रहे। इनमें मुख्य रूप से श्रीमती बागची, कर्नल जोग, डॉ. मुकुंद जोशी और श्री जिंदे का महत्वपूर्ण योगदान रहा। समिति ने सीमित संसाधनों के बावजूद महाराष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने का संकल्प निभाया।

इस वर्ष का आयोजन

इस बार का सार्वजनिक गणेशोत्सव 27 अगस्त से 31 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। 27 तारीख को गणेश स्थापना और पूजा सम्पन्न हुई। 28 से 30 अगस्त तक विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम होंगे। इनमें एकल अभिनय, कविता प्रस्तुति और गायन शामिल है। 29 अगस्त को श्री वारकरी पीठ द्वारा भजन संध्या और 30 अगस्त को महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम होंगे। छोटे कलाकार भी मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।

स्मरणिका विमोचन और विसर्जन

31 अगस्त को समिति की स्मरणिका का विमोचन डॉ. विजय जोगदंडे और डॉ. श्रद्धा जोगदंडे के करकमलों से किया जाएगा। इसके बाद महाप्रसाद का आयोजन होगा और फिर बाप्पा को भावपूर्ण मन से विसर्जित किया जाएगा।

परंपरा और संस्कृति की झलक

समिति में पूजा परंपरागत मराठी तरीके से की जाती है। इस दौरान न केवल धार्मिक आस्था बल्कि संस्कृति और सभ्यता की झलक भी देखने को मिलती है। समिति की शुरुआत 5 लोगों से हुई थी और आज इसमें लगभग 50 परिवार सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।

गणेशोत्सव के साथ ही समिति अन्य प्रमुख त्योहार जैसे गुड़ीपाड़वा, महाराष्ट्र दिवस, कोजागिरी पौर्णिमा और मकर संक्रांति भी मनाती है। यही वजह है कि देहरादून में बसे महाराष्ट्र समाज के लोग अपनी जड़ों और परंपराओं से लगातार जुड़े हुए हैं।

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