
देहरादून: देशभर में फर्जी लोन ऐप्स के माध्यम से आम नागरिकों को ठगने वाले एक अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस गिरोह के सरगना अभिषेक अग्रवाल को उत्तराखंड एसटीएफ ने दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया। वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और उसके खिलाफ पहले से ही लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी था।
शेल कंपनियों के माध्यम से ठगी का तंत्र
प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी ने 35 से अधिक शेल कंपनियां बनाई थीं। इनमें से 13 कंपनियां अभिषेक अग्रवाल के नाम पर जबकि 28 उसकी पत्नी के नाम पर पंजीकृत हैं। इन कंपनियों में कई चीनी नागरिकों को सह-निर्देशक के रूप में शामिल किया गया था। इन कंपनियों के जरिए 750 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध धनराशि का लेन-देन किया गया।
फर्जी ऐप्स के जरिए जाल बिछाकर लूट
गिरोह द्वारा “Inst Loan”, “KK Cash”, “RupeeGo”, “Lendkar” जैसे करीब 15 फर्जी लोन ऐप्स तैयार किए गए थे। इन ऐप्स के माध्यम से कम दस्तावेज़ों पर जल्द लोन का झांसा देकर लोगों को फंसाया जाता था। एक बार ऐप डाउनलोड करने के बाद, उपयोगकर्ताओं के फोन का पूरा एक्सेस हासिल कर लिया जाता और उनकी गैलरी, कॉन्टैक्ट लिस्ट और व्यक्तिगत जानकारी चुरा ली जाती थी।
इसके बाद पीड़ितों से अत्यधिक ब्याज और जुर्माने की मांग की जाती थी। उन्हें धमकाया जाता था कि अगर पैसे नहीं दिए तो उनकी निजी तस्वीरों और डेटा को एडिट कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा।
देशभर में फैला नेटवर्क
यह साइबर ठगी का नेटवर्क केवल एक राज्य तक सीमित नहीं था। देश के कई राज्यों से पीड़ितों की शिकायतें प्राप्त हुईं। दिसंबर 2022 में पहली बार इस तरह के गिरोह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसके बाद एसटीएफ ने व्यापक जांच शुरू की।
एसएसपी नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी चीनी नेटवर्क के संपर्क में था और उनके लिए भारत में फर्जी कंपनियां बनाकर बैंक खातों का संचालन करता था।
ठगी का संचालन विदेश से
अभिषेक अग्रवाल ने चीन, हांगकांग जैसे देशों से इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। वहां से ऐप्स को संचालित कर भारत के नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा था।
सतर्कता ही सुरक्षा
एसटीएफ ने जनता से अपील की है कि किसी भी अनजान ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रमाणिकता जांचें और किसी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत साइबर क्राइम सेल को जानकारी दें। इस गिरफ्तारी को साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी सफलता माना जा रहा है, लेकिन ऐसे अपराधों से बचाव के लिए तकनीकी सतर्कता बेहद जरूरी है।