कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड में वीरता को किया गया नमन, शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
On Kargil Vijay Diwas, valor was saluted in Uttarakhand, tribute was paid to the martyrs

कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर उत्तराखंड में पूरे गर्व और सम्मान के साथ कारगिल विजय दिवस मनाया गया। देहरादून स्थित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सर्वोच्च बलिदान को नमन किया। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध की वीरगाथा आज भी हर भारतीय को प्रेरित करती है और देशसेवा का जज्बा जगाती है।
75 उत्तराखंडी जवानों ने दी थी शहादत
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध में कुल 537 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जिनमें से 75 वीर उत्तराखंड से थे। उन्होंने कहा कि यह राज्य सदैव से भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा रहा है और यहां के सपूतों ने हर युद्ध में वीरता की मिसाल पेश की है। सीएम धामी ने युवाओं को भी देशसेवा के लिए प्रेरित किया और सेना में शामिल होने का आह्वान किया।
सुरक्षा नीति में बदलाव की बात
अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने देश की बदलती रक्षा रणनीति का भी उल्लेख किया। उन्होंने उरी, पुलवामा और बालाकोट जैसे अभियानों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत अब पहले से अधिक मजबूत और आत्मनिर्भर है। उन्होंने कहा कि अब भारत न केवल हमले का जवाब देता है, बल्कि शत्रु की साजिशों को जड़ से खत्म करने की क्षमता भी रखता है।
हल्द्वानी में भी मनाया गया विजय दिवस
नैनीताल जिले के हल्द्वानी में भी कारगिल विजय दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। शहीद पार्क में हुए कार्यक्रम में जिले के पांच कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में पूर्व सैनिक, स्थानीय जनप्रतिनिधि और शहीद परिवारों ने भाग लिया। सभी ने वीर सपूतों को याद करते हुए उन्हें नमन किया।
वीरांगनाओं को मिला सम्मान
देहरादून और हल्द्वानी दोनों जगहों पर शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और उपहार देकर उनके त्याग को समाज के सामने लाया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ शहीदों को याद करना नहीं, बल्कि उनके परिवारों के अद्वितीय बलिदान को भी सम्मानित करना था।
प्रेरणा का प्रतीक बना उत्तराखंड
कारगिल विजय दिवस पर उत्तराखंड की वीरता एक बार फिर देश के सामने उजागर हुई। यह दिन युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना को सशक्त करने के साथ-साथ, समाज को यह याद दिलाने का अवसर बना कि शांति और सुरक्षा के पीछे कितनी कुर्बानियां होती हैं।