उत्तराखंड

उत्तराखंड के मैदानी जिलों में 30 जून को बाढ़ मॉक ड्रिल, आपदा प्रबंधन की तैयारियों की होगी जांच

Flood mock drill will be conducted in the plain districts of Uttarakhand on June 30, disaster management preparations will be tested

देहरादून, 21 जून 2025: उत्तराखंड सरकार ने बाढ़ जैसी आपदा से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए 30 जून को राज्य के मैदानी जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य बाढ़ की स्थिति में राहत और बचाव कार्यों को बेहतर ढंग से क्रियान्वित करना और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मजबूत करना है। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में एक समन्वय बैठक आयोजित कर ड्रिल की रूपरेखा तय की गई।

संवेदनशील जिलों में होगी मॉक ड्रिल

सचिव सुमन ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पिछले वर्षों में बार-बार जलभराव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई है, वहां मॉक ड्रिल कराना अत्यंत आवश्यक है। इस क्रम में ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और चंपावत जनपदों को चुना गया है। इन जिलों के मैदानी क्षेत्रों में मॉक ड्रिल के माध्यम से तैयारियों को परखा जाएगा।

टेबल टॉप एक्सरसाइज के साथ होगी शुरुआत

मॉक ड्रिल की औपचारिक शुरुआत 28 जून को टेबल टॉप एक्सरसाइज से होगी। इस अभ्यास में विभिन्न विभागों के बीच तालमेल, जिम्मेदारियों का निर्धारण और रणनीति तय की जाएगी। इसके बाद 30 जून को वास्तविक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। यह पूरा आयोजन आईआरएस (इंसीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम) के अंतर्गत होगा, जिसकी अधिसूचना राज्य स्तर पर 9 जून को जारी की जा चुकी है।

हेलीकॉप्टर से फूड पैकेट एयरड्रॉप का अभ्यास भी होगा

इस बार मॉक ड्रिल में एक नई पहल के रूप में हेलीकॉप्टर के माध्यम से भोजन वितरण का अभ्यास भी किया जाएगा। सचिव ने बताया कि बाढ़ के समय कई बार भू-भाग जलमग्न हो जाते हैं और वहां राहत सामग्री पहुंचाना कठिन होता है। ऐसे में एयरड्रॉपिंग एक कारगर विकल्प है। अभ्यास के दौरान वास्तविक फूड पैकेट ड्रॉप कर यह देखा जाएगा कि वे सुरक्षित रूप से ज़रूरतमंदों तक पहुंच रहे हैं या नहीं।

रेस्क्यू और अलर्ट सिस्टम की भी होगी जांच

मॉक ड्रिल के दौरान बाढ़ चेतावनी संदेशों को वाट्सएप, एसएमएस, रेडियो जैसे माध्यमों से प्रसारित किया जाएगा। सुरक्षित रूट्स, ट्रांसपोर्ट संसाधनों और शरण स्थलों को पहले से चिह्नित किया जाएगा। साथ ही, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए विशेष रेस्क्यू योजना तैयार की जाएगी, जिससे आपातकालीन स्थिति में उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित निकाला जा सके।

राहत शिविरों की व्यवस्थाओं का किया जाएगा परीक्षण

ड्रिल के दौरान संभावित बाढ़ क्षेत्रों में राहत शिविर भी स्थापित किए जाएंगे। इन शिविरों में बिजली, पानी, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा, शिशु आहार और गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं को परखा जाएगा। साथ ही, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस और होमगार्ड की तैनाती भी सुनिश्चित की जाएगी। यह मॉक ड्रिल वास्तविक आपदा के लिए एक व्यावहारिक तैयारी होगी।

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