Blogतकनीकदेश

अंतरिक्ष में गए शुभांशु शुक्ला का भावुक संदेश, पत्नी को दिया स्पेशल धन्यवाद

Emotional message of Shubhanshu Shukla who went to space, gave special thanks to his wife

नई दिल्ली, 26 जून 2025: भारत के युवा अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, जो हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय मिशन पर अंतरिक्ष में गए हैं, उन्होंने अंतरिक्ष यात्रा से पहले सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश साझा किया है। अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में उन्होंने न केवल मिशन से जुड़ी उम्मीदों को व्यक्त किया, बल्कि अपनी पत्नी कामना शुभा शुक्ला को भी इस सफर में साथ निभाने के लिए खास धन्यवाद दिया।

शुभांशु का भावनात्मक इंस्टाग्राम पोस्ट

अपने मिशन से ठीक पहले शेयर किए गए पोस्ट में शुभांशु ने अपनी पत्नी के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा,
“हम 25 जून की सुबह जल्दी इस ग्रह को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। इस मिशन में शामिल सभी लोगों और अपने परिवार व दोस्तों का दिल से आभार व्यक्त करता हूं।”

उन्होंने आगे लिखा, “कभी-कभी हमारे अपने लोग हमारे लिए ऐसे बलिदान करते हैं जिनकी हम गहराई से कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसे में एक साथी के रूप में कामना जैसी जीवनसाथी होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उनके बिना यह यात्रा संभव नहीं होती।”

मिशन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

शुभांशु शुक्ला भारत की ओर से एक बहुप्रतीक्षित अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा बने हैं। इस मिशन में वे अन्य देशों के वैज्ञानिकों के साथ अंतरिक्ष में अनुसंधान, जैविक प्रयोग और पृथ्वी के पर्यावरणीय बदलावों पर अध्ययन करेंगे।

उनकी उड़ान 25 जून को तय समय पर लॉन्च हुई, जिसमें वे स्पेस स्टेशन की ओर रवाना हुए हैं। यह मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता का प्रदर्शन है, बल्कि युवा पीढ़ी को प्रेरित करने वाला उदाहरण भी बन गया है।

देशभर से मिल रही शुभकामनाएं

शुभांशु के इस मिशन को लेकर पूरे देश में गर्व और उत्साह की लहर है। सोशल मीडिया पर उनके नाम की जमकर चर्चा हो रही है। वैज्ञानिक समुदाय, शिक्षा जगत और आम नागरिकों ने उन्हें शुभकामनाएं भेजी हैं।

उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा एक व्यक्तिगत, पारिवारिक और राष्ट्रीय गौरव की कहानी है। उनके शब्दों में झलकती भावनाएं यह बताती हैं कि एक अंतरिक्ष यात्री बनने के पीछे केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि अपनों का समर्थन और बलिदान भी शामिल होता है। यह मिशन भारत के लिए एक और सुनहरा अध्याय साबित हो सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button