
उत्तराखंड में पर्यावरण और आर्थिक विकास के संतुलन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयास रंग ला रहे हैं। अब राज्य के दो शहरों – रुद्रपुर और मसूरी – ने वेस्ट-टू-एनर्जी मॉडल के तहत कूड़े से बिजली और जैविक खाद बनाना शुरू कर दिया है। इस पहल ने न सिर्फ स्वच्छता में सुधार किया है बल्कि कूड़े के ढेर से ऊर्जा उत्पन्न कर कूड़ा प्रबंधन की एक नई मिसाल कायम की है।
रुद्रपुर नगर निगम, जिसमें रोजाना 105 से 118 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है, ने पिछले साल नवंबर से पीपीपी मॉडल के तहत एक वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की शुरुआत की थी। इस प्लांट की क्षमता 50 टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की है और वर्तमान में यह प्रतिदिन 30 टन कूड़ा इस्तेमाल कर छह किलोवॉट बिजली और ‘कल्याणी’ नाम से जैविक खाद का उत्पादन कर रहा है। इसके जरिए रुद्रपुर ने पुराने कूड़े के ढेर का भी सफल निस्तारण किया है।
मसूरी नगर पालिका ने भी मई 2024 से अपने वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के माध्यम से कूड़ा निस्तारण और उत्पादन का काम शुरू किया है। आठ टन कूड़ा प्रतिदिन की क्षमता वाले इस प्लांट में बायोगैस और जैविक खाद बनाई जा रही है। मसूरी जैसे पर्यटक स्थल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है, जहां कूड़ा प्रबंधन हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने इस पहल को उत्तराखंड के विकास और पर्यावरण संतुलन में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनकी वेस्ट-टू-एनर्जी पॉलिसी से न सिर्फ स्वच्छता में सुधार हुआ है, बल्कि राज्य को ऊर्जा के नए स्रोत भी मिले हैं। उन्होंने कहा, “हम हर हाल में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं और इकोलॉजी और इकोनॉमी के संतुलन को बनाए रखेंगे।”
उत्तराखंड में वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजनाएं न केवल एक हरित पहल साबित हो रही हैं बल्कि नगर निकायों के सामने कूड़ा प्रबंधन की चुनौती को भी हल कर रही हैं। इस पहल से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में अन्य शहर भी इस नीति को अपनाकर सतत विकास की ओर बढ़ेंगे।