
नई दिल्ली, 31 जनवरी: संसद के बजट सत्र के पहले दिन, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3-6.8% के बीच रहने का अनुमान है।
भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिर
सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.4% बनी रहेगी, जो पिछले दशकों के औसत के करीब है। कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र सभी विकास में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत और स्थिर बनी हुई है।
औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में तेजी
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार:
- कृषि क्षेत्र मजबूत बना हुआ है और लगातार अपनी औसत वृद्धि दर से ऊपर बना हुआ है।
- उद्योग क्षेत्र ने महामारी के बाद मजबूती से वापसी की है और अब महामारी-पूर्व स्तर से ऊपर प्रदर्शन कर रहा है।
- सेवा क्षेत्र, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा घटक है, हाल के वर्षों में स्थिर विकास दर के साथ आगे बढ़ रहा है।
महंगाई पर नियंत्रण, खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट
महंगाई को लेकर अच्छी खबर यह है कि खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) वित्त वर्ष 2024 में 5.4% से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2024 के दौरान 4.9% हो गई। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 तक मुद्रास्फीति धीरे-धीरे 4% के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी।
बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र स्थिर, एनपीए में गिरावट
सर्वेक्षण में बताया गया कि भारतीय बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है।
- गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) घटकर 2.6% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई हैं।
- क्रेडिट ग्रोथ मजबूत है और वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनी हुई है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 17.9% की वृद्धि
विदेशी निवेश को लेकर भारत के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
- वित्त वर्ष 2025 में एफडीआई प्रवाह बढ़कर 55.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 के 47.2 बिलियन डॉलर की तुलना में 17.9% अधिक है।
- सरकार मेक इन इंडिया और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं से निवेश को और बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है।
कृषि और खाद्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान
कृषि क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए सर्वेक्षण में कहा गया कि यह भारत के जीडीपी में लगभग 16% योगदान देता है।
- दलहन, तिलहन, टमाटर, प्याज जैसे प्रमुख खाद्य उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शोध की जरूरत है।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु-प्रतिरोधी फसलें विकसित करने पर जोर दिया जाएगा।
ऊर्जा और बुनियादी ढांचे में दीर्घकालिक निवेश की जरूरत
भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए औसतन 8% वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी। इसके लिए:
- बुनियादी ढांचे में निवेश को 31% से बढ़ाकर 35% करने की जरूरत होगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर अधिक ध्यान, ताकि ऊर्जा आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा सके।
नवाचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में निवेश बढ़ाने की जरूरत
सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को AI, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती तकनीकों में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।
- भारत की सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था स्वचालन के प्रति संवेदनशील है, इसलिए AI को अपनाने में सतर्क दृष्टिकोण की जरूरत होगी।
- AI का प्रभाव सबसे ज्यादा भारत जैसे देशों में महसूस किया जाएगा, जहां प्रति व्यक्ति आय अभी भी कम है।
व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business) सुधारने की आवश्यकता
- राज्यों को व्यापारिक नीतियों को और सरल बनाने की दिशा में कार्य करना होगा।
- कारोबार करने की कठिनाइयों को दूर करने के लिए “Ease of Doing Business 2.0” पहल की सिफारिश की गई।
वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए रणनीतिक सुधार आवश्यक
भारत को वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए रणनीतिक सुधारों को गति देने की जरूरत है।
- भारत को अपनी आर्थिक नीति को वैश्विक स्तर के अनुरूप बनाना चाहिए, न कि केवल अपने पिछले रिकॉर्ड के हिसाब से।
- गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य उद्योग क्षेत्र पर अपनी निर्भरता का लाभ उठाने में सक्षम रहे हैं। अन्य राज्यों को भी इस मॉडल को अपनाने की जरूरत है।
निष्कर्ष: आर्थिक आधार मजबूत, सतत विकास की ओर बढ़ता भारत
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के अनुसार, भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है। सरकार द्वारा संतुलित राजकोषीय नीति और स्थिर उपभोग को प्राथमिकता देने से भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
सरकार बड़े पैमाने पर निवेश, व्यापारिक सुधार और तकनीकी नवाचार के माध्यम से भारत को एक उच्च-विकास दर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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