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छात्र संघ चुनाव में देरी पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से दो हफ्ते में जवाब तलब

High Court strict on delay in student union elections, seeks reply from government in two weeks

नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश में छात्र संघ चुनाव कराने में हो रही देरी पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की एकलपीठ ने बुधवार, 27 नवंबर को सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।


याचिकाकर्ता ने सरकार के आदेश को बताया अव्यवहारिक

याचिकाकर्ता किशन सिंह ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को सितंबर तक एडमिशन प्रक्रिया पूरी कर छात्र संघ चुनाव कराने का आदेश दिया था।
हालांकि, कई विश्वविद्यालयों ने अक्टूबर तक एडमिशन की प्रक्रिया पूरी की, जिससे सितंबर में चुनाव कराना संभव नहीं था। याचिकाकर्ता ने सरकार के इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की।


लिंगदोह कमेटी और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार का यह आदेश लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है।

  • लिंगदोह कमेटी और यूजीसी के नियमों के अनुसार, विश्वविद्यालयों को अपने शैक्षणिक कैलेंडर के आधार पर चुनाव कराने चाहिए।
  • एडमिशन प्रक्रिया पूरी होने के आठ सप्ताह बाद ही छात्र संघ चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज कर सितंबर तक चुनाव कराने का आदेश दे दिया।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक कैलेंडर निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल केंद्र सरकार और यूजीसी को है।


सरकार के आदेश पर सवाल

याचिकाकर्ता का दावा है कि राज्य सरकार का आदेश न केवल सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों बल्कि यूजीसी की नियमावली और विश्वविद्यालय की स्वायत्तता का भी उल्लंघन है।
जब अक्टूबर तक एडमिशन प्रक्रिया पूरी हुई, तो सितंबर में बिना छात्रों के चुनाव कराना संभव नहीं था। यह दर्शाता है कि सरकार ने आदेश जारी करने से पहले व्यावहारिकता पर विचार नहीं किया।


हाई कोर्ट का रुख और सुनवाई की अगली तारीख

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि छात्र संघ चुनाव जैसे मुद्दों पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मामले की अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी, जब सरकार से छात्रों के हित में कदम उठाने और स्पष्ट स्थिति पेश करने की उम्मीद की जाएगी।


छात्र संघ चुनावों में पारदर्शिता की मांग

इस मामले ने एक बार फिर से छात्र संघ चुनावों की पारदर्शिता और समयबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मुद्दा राज्य सरकार की नीतियों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को उजागर करता है।

अब सभी की नजरें 18 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर हैं, जहां अदालत सरकार की कार्रवाई की समीक्षा करेगी और आगे का निर्णय लेगी।

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