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दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे: उत्तराखंड की प्रगति को देगा नई उड़ान, देश को मिलेगा स्मार्ट ट्रांसपोर्ट मॉडल

Delhi-Dehradun Expressway: Will give new flight to the progress of Uttarakhand, the country will get a smart transport model

देहरादून – उत्तर भारत के सबसे बहुप्रतीक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। करीब 13,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रहा यह 210 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे न केवल तीन राज्यों – दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड – को जोड़ेगा, बल्कि राष्ट्रीय विकास की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगा।

प्रोजेक्ट nearing completion: इंतज़ार की घड़ियां खत्म

इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 2021 में हुई थी और अब यह अपने अंतिम चरण में है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा तैयार किए जा रहे इस प्रोजेक्ट में सबसे जटिल और अहम हिस्सा गणेशपुर से देहरादून तक का 19.5 किलोमीटर खंड है, जो राजाजी टाइगर रिजर्व के बीच से होकर गुजरता है। इसे वन्यजीवों के अनुकूल बनाने के लिए यहां 12 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड वाइल्डलाइफ कॉरिडोर तैयार किया गया है, जिसे एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव गलियारा माना जा रहा है।

उद्घाटन की तैयारियां तेज़

उत्तराखंड सरकार ने इस एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगा है और संभावना है कि जल्द ही इसका औपचारिक लोकार्पण किया जाएगा। कुछ हिस्सों को पहले ही परीक्षण के लिए खोला जा चुका है, जबकि बाकी कार्य आने वाले 1-2 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।

यात्रा समय होगा आधे से भी कम

वर्तमान में दिल्ली से देहरादून की यात्रा में लगभग 6 से 7 घंटे लगते हैं। लेकिन एक्सप्रेसवे चालू होने के बाद यह सफर महज ढाई से तीन घंटे में पूरा किया जा सकेगा। यह सुविधा पर्यटकों, व्यापारियों और आम यात्रियों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगी।

भविष्य के लिए तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर

प्रारंभिक रूप से यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का है, लेकिन इसकी रूपरेखा को 8 से 12 लेन तक विस्तार योग्य बनाया गया है। इससे भविष्य की बढ़ती ट्रैफिक मांगों को भी आसानी से समायोजित किया जा सकेगा।

यह मार्ग दिल्ली, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर होते हुए देहरादून तक पहुंचेगा, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक और शहरी इलाकों को भी फायदा मिलेगा।

पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बूस्ट

देहरादून, मसूरी और ऋषिकेश जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों तक पहुंच सुगम हो जाने से पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इससे स्थानीय कारोबार, होटल उद्योग और टूर गाइडिंग सेवाओं को लाभ मिलेगा। सरकार का मानना है कि यह एक्सप्रेसवे उत्तराखंड की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को मजबूत करेगा।

स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन की योजना

राज्य सरकार देहरादून में ट्रैफिक दबाव को संभालने के लिए नई ट्रैफिक मैनेजमेंट नीति पर काम कर रही है। इसके तहत सिग्नल फ्री जंक्शन, स्मार्ट सर्किट और वायु गुणवत्ता नियंत्रण जैसे नवाचार भी शामिल किए जाएंगे।

विकास और पर्यावरण के संतुलन का उदाहरण

राजाजी टाइगर रिजर्व जैसे पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र से होकर गुजरते इस एक्सप्रेसवे को अत्यधिक सावधानी से डिज़ाइन किया गया है। एलिवेटेड कॉरिडोर और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्ग इस बात को दर्शाते हैं कि विकास और पर्यावरण एक साथ संभव हैं। यह मॉडल भविष्य की ऐसी सभी परियोजनाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।

राष्ट्रीय स्तर पर बनेगा उदाहरण

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर भारत बल्कि पूरे देश के लिए एक स्मार्ट, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल ट्रांसपोर्ट मॉडल प्रस्तुत करेगा। यह परियोजना ‘ग्रीन हाइवे’ की अवधारणा को भी मजबूत करती है, जो भारत को टिकाऊ विकास की ओर ले जाएगी।

यह एक्सप्रेसवे उत्तराखंड के लिए सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि विकास का प्रवेशद्वार है। इससे न केवल दिल्ली से देहरादून की दूरी कम होगी, बल्कि उत्तराखंड को आर्थिक, औद्योगिक और पर्यटन की नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम साबित होगा।

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