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देहरादून का घंटाघर जल्द दिखेगा नए और भव्य स्वरूप में, जिला प्रशासन कर रहा लगातार निगरानी

Dehradun's clock tower will soon be seen in a new and grand form, the district administration is constantly monitoring it

देहरादून, 23 मई: राजधानी देहरादून का ऐतिहासिक घंटाघर जल्द ही अपने नए, आकर्षक और भव्य स्वरूप में नजर आएगा। जिला प्रशासन द्वारा शहर के प्रमुख चौकों और ऐतिहासिक स्थलों के सौंदर्यीकरण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। खासतौर पर घंटाघर को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करते हुए पारंपरिक शैली में पुनः सजाया जा रहा है।

जिलाधिकारी सविन बंसल स्वयं इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं और समय-समय पर मौके पर जाकर निरीक्षण कर रहे हैं। प्रशासन का उद्देश्य है कि घंटाघर न केवल एक ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में बरकरार रहे, बल्कि यह क्षेत्र यातायात की दृष्टि से भी अधिक सुगम और व्यवस्थित हो सके। इसके तहत चौक को चौड़ा किया जा रहा है, प्रकाश व्यवस्था बेहतर की जा रही है और आसपास की संरचनाओं को भी नया रूप दिया जा रहा है।

ऐतिहासिक विरासत को सहेजने की पहल

घंटाघर न केवल देहरादून का केंद्र बिंदु है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। वर्ष 1948 में इस स्मारक का निर्माण लाल बलबीर सिंह की स्मृति में उनके पुत्र कुंवर आनंद सिंह द्वारा कराया गया था। लाल बलबीर सिंह ब्रिटिश काल में भारतीय मूल के एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश थे। यह स्मारक उनके योगदान और व्यक्तित्व की याद में बनाया गया था।

24 जुलाई 1948 को राष्ट्रवादी नेता और उस समय की मशहूर कवयित्री सरोजिनी नायडू द्वारा इसका शिलान्यास किया गया था। यह स्मारक स्वतंत्र भारत की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और समाजसेवियों की स्मृति को जीवित रखने का प्रयास किया गया।

भव्यता के साथ बरकरार रहेगा मूल स्वरूप

घंटाघर के सौंदर्यीकरण कार्य में प्रशासन इस बात का खास ध्यान रख रहा है कि इसके मूल स्वरूप को कोई क्षति न पहुंचे। इसकी पारंपरिक वास्तुकला को संरक्षित करते हुए आधुनिक तकनीक और डिजाइन का संयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा, घंटाघर परिसर के आसपास हरियाली बढ़ाने, पैदल यात्रियों के लिए रास्ते बनाने और बैठने की सुविधाएं विकसित करने का भी काम चल रहा है।

नगर पालिका और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि घंटाघर एक बार फिर देहरादून की पहचान बने। इसके लिए विशेष बजट भी आवंटित किया गया है और परियोजना के हर चरण को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

देहरादून के गौरव को नया रूप

समय के साथ घंटाघर कई बार सौंदर्यीकरण से गुजरा, लेकिन इस बार का कार्य सबसे व्यापक और प्रभावी माना जा रहा है। पूर्ववर्ती सरकारों और नगर पालिका अध्यक्षों द्वारा भी समय-समय पर इसके सौंदर्यीकरण के प्रयास किए गए, लेकिन पहली बार इसे दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निखारने का प्रयास हो रहा है।

स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में भी इस परियोजना को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। उनका मानना है कि घंटाघर के नये स्वरूप से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और शहर को एक नई पहचान मिलेगी।

देहरादून का घंटाघर आने वाले दिनों में न केवल एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में, बल्कि एक आधुनिक और सुव्यवस्थित सार्वजनिक स्थल के रूप में उभरेगा। जिला प्रशासन की सक्रियता, नगर पालिका की योजनाएं और जनसहयोग के चलते यह परियोजना देहरादून की शान को और अधिक ऊंचा करेगी। लोगों को एक बार फिर घंटाघर अपने पूरे वैभव और गौरव के साथ नजर आएगा।

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