
नई दिल्ली/वाशिंगटन: भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में संपन्न शिखर बैठक वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता ने दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा दी है।
अमेरिका में मोदी की रणनीतिक यात्रा
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा बाइडेन के चार साल के कार्यकाल के बाद ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद हुई। इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन के प्रमुख नेताओं से बातचीत की, जिससे इस यात्रा की सफलता सुनिश्चित करने की योजना बनी। मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड, एलोन मस्क, विवेक रामास्वामी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज जैसे कई प्रभावशाली नेताओं से मुलाकात की।
अमेरिका की नई नीतियां और भारत की रणनीति
राष्ट्रपति ट्रंप ने वैश्वीकरण, व्यापार, और आव्रजन पर कड़े कदम उठाए हैं:
📌 अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए उच्च टैरिफ लगाए जा रहे हैं।
📌 आप्रवास (इमिग्रेशन) नीतियों में सख्ती, जिससे अमेरिका की पहचान बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।
📌 परस्पर टैरिफ की समीक्षा, जिससे अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजारों तक पहुंचने में कम दिक्कत हो।
हालांकि, भारतीय नेतृत्व ने ट्रंप प्रशासन की इन नीतियों का सीधा विरोध नहीं किया।
भारत-अमेरिका व्यापार और रणनीतिक सहयोग
✅ 2025 तक बहुपक्षीय व्यापार समझौते की पहली किश्त पर चर्चा हुई।
✅ अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया।
✅ भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल, एलएनजी और परमाणु ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने की मांग की।
✅ सेमीकंडक्टर, क्वांटम टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, और अंतरिक्ष अनुसंधान में तकनीकी सहयोग की पहल।
✅ अवैध प्रवासियों की वापसी पर सहमति, लेकिन भारत ने छात्रों और पेशेवरों के लिए कानूनी गतिशीलता की मांग की।
रक्षा सहयोग में नई ऊंचाईयां
दोनों देशों ने रक्षा-औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते किए:
🔹 जेवलीन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और पैदल सेना के वाहनों के सह-उत्पादन पर सहमति।
🔹 भारत छह अतिरिक्त P8I समुद्री गश्ती विमान खरीदेगा।
🔹 अमेरिका भारत को एडवांस जेट फाइटर F-35 देने के लिए तैयार।
🔹 ऑटोनोमस सिस्टम इंडस्ट्री अलायंस (ASIA) की स्थापना।
2008 से पहले भारत को अमेरिकी रक्षा निर्यात लगभग शून्य था, लेकिन अब यह 20 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है।
भारत-अमेरिका सहयोग और वैश्विक राजनीति
क्वाड समूह की सक्रियता: ट्रंप प्रशासन ने सत्ता संभालते ही क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाई।
आपदा प्रबंधन और समुद्री सुरक्षा में सहयोग, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
यूक्रेन युद्ध और इजराइल-फिलिस्तीन संकट के बीच भारत-अमेरिका संबंधों की प्रासंगिकता बनी हुई है।
भविष्य की रणनीति
भारत ने टैरिफ और आव्रजन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने से बचते हुए अपने दीर्घकालिक हितों पर ध्यान केंद्रित किया। अमेरिका से तकनीकी, ऊर्जा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए कूटनीतिक समझदारी अपनाई गई।
भारत-अमेरिका संबंध बहुपक्षीय और द्विपक्षीय दोनों स्तरों पर और गहरे होंगे। बदलते वैश्विक राजनीतिक माहौल में, भारत अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाते हुए अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने की रणनीति अपनाएगा।