उत्तराखंड

NARI 2025 रिपोर्ट में देहरादून असुरक्षित शहरों में शामिल, पुलिस ने सर्वे पर उठाए सवाल

Dehradun included in unsafe cities in NARI 2025 report, police raised questions on the survey

देहरादून, 3 सितंबर: नेशनल एनुअल रिपोर्ट एंड इंडेक्स ऑन वूमेन सेफ्टी (NARI 2025) में देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों की सूची में रखा गया है। रिपोर्ट सामने आने के बाद शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे, लेकिन पुलिस और राज्य महिला आयोग ने इस सर्वे को तथ्यों पर आधारित न मानते हुए खारिज कर दिया। उनका कहना है कि यह रिपोर्ट किसी सरकारी संस्था की नहीं बल्कि एक निजी सर्वे कंपनी की है, जो सीमित आंकड़ों और व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित है।


निजी कंपनी का सर्वे, सरकारी संस्था का नहीं

देहरादून पुलिस की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसएसपी अजय सिंह ने स्पष्ट किया कि यह सर्वे राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग द्वारा नहीं कराया गया है। यह एक निजी कंपनी द्वारा कंप्यूटर एसीटेट टेलीफोनिक इंटरव्यू (CATI) और कंप्यूटर एसीटेट पर्सनल इंटरव्यू (CAPI) के जरिए किया गया है। पूरे देश में मात्र 12,770 महिलाओं से बात की गई, जबकि देहरादून में केवल 400 महिलाओं की राय के आधार पर नतीजा निकाला गया। यहां महिला आबादी लगभग 9 लाख है, ऐसे में इतना छोटा सैंपल साइज निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता।


पुलिस का डेटा: स्थिति रिपोर्ट से अलग

देहरादून पुलिस ने कहा कि सर्वे में पुलिस पेट्रोलिंग और अपराध दर को लेकर जो आंकड़े दिए गए हैं, वे वास्तविकता से मेल नहीं खाते। रिपोर्ट के अनुसार कोहिमा में पुलिस पेट्रोलिंग का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। यानी पुलिस गश्त के मामले में देहरादून को अधिक सुरक्षित माना गया। वहीं, सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न के मामले में राष्ट्रीय औसत 7 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 6 प्रतिशत है।


शिकायतों और अपराधों का वास्तविक आंकड़ा

पुलिस ने अगस्त माह का डेटा साझा करते हुए बताया कि डायल 112 पर कुल 12,354 शिकायतें आईं, जिनमें से केवल 2287 (18 प्रतिशत) महिलासंबंधी थीं। इनमें भी 1664 शिकायतें घरेलू झगड़ों से जुड़ी थीं। यौन शोषण और छेड़छाड़ की कुल शिकायतें सिर्फ 11 थीं, यानी कुल शिकायतों का 1 प्रतिशत से भी कम। पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है, जो उनकी संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाता है।


महिला सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रयास

महिला हेल्प डेस्क, गौरा शक्ति एप, डायल 112, पिंक बूथ, वन स्टॉप सेंटर और सीसीटीवी मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं लगातार सक्रिय हैं। जिले में 13 “गौरा चीता” महिला पुलिस टीमें भी गश्त कर रही हैं। इसके अलावा, स्कूलों और कॉलेजों में आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

रिपोर्ट पर विवाद कायम

देहरादून पुलिस का कहना है कि यह शहर हमेशा से सुरक्षित माना गया है, तभी यहां देश-विदेश से छात्र-छात्राएं पढ़ने और पर्यटक घूमने आते हैं। पुलिस ने माना कि सर्वेक्षण का उद्देश्य सकारात्मक हो सकता है, लेकिन पद्धति और सैंपलिंग कमजोर रही है। ऐसे में इसे नीति निर्माण का आधार नहीं माना जा सकता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button