
उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से चर्चा में रहे खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को आखिरकार हरिद्वार की सत्र अदालत से 18 मार्च को सशर्त जमानत मिल गई। लगभग 50 दिन तक जेल में रहने के बाद उन्हें राहत मिली, लेकिन इस जमानत के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संकटमोचक आयुष पंडित की रणनीति अहम मानी जा रही है।
कैसे जेल पहुंचे थे चैंपियन?
27 जनवरी को हुए गोलीकांड के बाद पुलिस ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। यह मामला इतना बड़ा बन गया कि उनका वीडियो देशभर में वायरल हो गया। इसका असर यह हुआ कि निचली अदालत ने दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, मीडिया ट्रायल के कारण अदालतें भी इस मामले में राहत देने से बच रही थीं।
चैंपियन के लिए संकटमोचक बने आयुष पंडित
जब कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को हर बार अदालत से झटका मिल रहा था, तब पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के भरोसेमंद रणनीतिकार आयुष पंडित ने उनकी लीगल टीम को इस केस में उतारा। बता दें कि आयुष पंडित वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 2018 में खोजी पत्रकार उमेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलकर त्रिवेंद्र सरकार को संकट से बचाया था। तब से उमेश कुमार और आयुष पंडित की राजनीतिक दुश्मनी जगजाहिर हो चुकी है।

लीगल टीम ने कैसे बदला खेल?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने चैंपियन के केस की बारीकी से निगरानी करने और कानूनी पहलुओं को मजबूत करने के लिए आयुष पंडित की टीम को शामिल किया। इस टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद शुक्ला, कबीर चानना, राकेश कुमार सिंह और गोपाल चतुर्वेदी जैसे दिग्गज वकील शामिल थे।
राजनीतिक रणनीति के संकेत
उत्तराखंड की राजनीति में यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि सत्ता के समीकरणों का खेल भी माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि जब भी राजनीतिक संकट गहराता है, तब आयुष पंडित को संकटमोचक के तौर पर सक्रिय किया जाता है। इस बार भी, जब चैंपियन को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल रही थी, तब आयुष पंडित की रणनीति ने उन्हें जमानत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।