
देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। संक्रमण की रोकथाम के लिए विभाग ने राज्य के सभी अस्पतालों को अलग से फ्लू ओपीडी संचालित करने के निर्देश दिए हैं, ताकि खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित मरीजों का इलाज अन्य मरीजों से अलग किया जा सके।
फ्लू क्लीनिक से होगी बेहतर निगरानी
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज में भी इसी सप्ताह फ्लू क्लीनिक शुरू किए जाने की तैयारी चल रही है। अस्पताल की प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने बताया कि रेस्पिरेटरी संक्रमण से जुड़े मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है, ताकि लक्षणों के आधार पर संभावित कोरोना मरीजों की पहचान जल्द हो सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अस्पताल में कोरोना जांच के लिए आरटीपीसीआर और एलाइजा किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
कोरोना के इलाज के लिए तैयारी पूरी
डॉ. गीता जैन ने बताया कि फिलहाल दून अस्पताल में कोई कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती नहीं है, लेकिन एहतियात के तौर पर 20 आईसीयू और 10 पीडियाट्रिक बेड आरक्षित कर दिए गए हैं। कोरोना की जांच नि:शुल्क की जाएगी। साथ ही अस्पताल प्रशासन ने अतिरिक्त जांच किटों की मांग भी स्वास्थ्य विभाग को भेज दी है।
देश में बढ़ रहे एक्टिव केस
स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 1000 के पार पहुंच गई है। इनमें से 752 मरीज 19 मई के बाद सामने आए हैं। राहत की बात यह है कि 305 मरीज ठीक हो चुके हैं, हालांकि 7 मरीजों की मौत भी हुई है। केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।
उत्तराखंड में सामने आए तीन केस
राज्य में अब तक कोरोना के तीन मरीजों की पुष्टि हुई है। ये सभी अन्य राज्यों से उत्तराखंड लौटे थे। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को अलर्ट पर रखा है और जनता से अपील की है कि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत जांच कराएं और सावधानी बरतें।