“आरजेडी चीफ लालू यादव के बयान से इंडिया गठबंधन में खलबली”
" क्या सपा भी कर सकती है कांग्रेस नेतृत्व से किनारा, ममता बनर्जी की अगुवाई से पार्टी को नहीं एतराज"

नई दिल्ली : (एजेंसी) इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है. जिस तरह ममता बनर्जी के नाम पर देश के सभी बड़े दल और उनके नेताओं ने अपनी सहमति जताई है। चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के बाद इंडिया गठबंधन में अंतर्विरोध बढ़ रहे हैं। इंडिया गठबंधन यूपी में भी दरक सकता है। इंडिया गठबंधन का नेतृत्व तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को दिए जाने पर सपा को एतराज नहीं है। चुनावों में कांग्रेस की लगातार हार के बाद इंडिया गठबंधन में अंतर्विरोध बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि संसद के अंदर भी सपा-कांग्रेस विभिन्न मुद्दों पर मजबूती से एक साथ नहीं दिख रहे हैं। सपा सदन के भीतर भी उसे भरोसे में न लेने का अंदरखाने आरोप लगा रही है।सपा नेताओं का कहना है कि संभल मामले में उसके सांसद पर मुकदमे दर्ज किए जाने का कांग्रेस ने उस तरह विरोध नहीं किया जैसी उससे अपेक्षा थी। बताते हैं कि लोकसभा में फैजाबाद (अयोध्या) के सपा सांसद अवधेश प्रसाद की सीट पीछे होने पर भी दोनों दलों के रिश्तों में असहजता पैदा हुई है। सपा का मानना है कि सीटिंग प्लान पर बात के समय कांग्रेस ने उसे भरोसे में नहीं लिया।
वहीं, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सदन में अदाणी मामले में उसे सपा का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।रिश्तों में खटास का ही नतीजा है कि सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा कि ममता बनर्जी वरिष्ठ नेता हैं। पार्टी हाईकमान भी यही चाहता है कि इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी करें। सपा के प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल भी कह चुके हैं कि वे राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का नेता नहीं मानते हैं। इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति में शामिल सपा के एक नेता बताते हैं कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर गंभीर नहीं है।
उसके नेता चुनाव के वक्त ही सक्रिय होते हैं जिससे जनाधार नहीं बढ़ता। ऐसे में बेहतर होगा कि गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी करें। भाजपा को मात देने के लिए रणनीति के साथ जनता के बीच लगातार जुटे रहने की जरूरत है।
हरियाणा व महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव और यूपी के उपचुनाव में कांग्रेस व सपा के बीच बढ़ी दूरियों का सियासी लाभ बसपा को मिलने की उम्मीद है। पार्टी तेजी से बदले राजनीतिक घटना पर नजर बनाए हुए है। यदि कांग्रेस और सपा के बीच बात नहीं बनी तो इसकी वजह से बनने वाले तीसरे मोर्चा का बसपा अंग बन सकती है। जानकारों की मानें तो वर्तमान में पार्टी को अपना वजूद बचाने और देश की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता को बरकरार रखने के लिए इसकी जरूरत भी है। दरअसल, बसपा के इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में उसे बहुमत मिला था। इससे पहले बसपा दूसरे दलों की मदद से सरकार बनाती रही, जिसका लाभ उसे लोकसभा चुनावों में भी मिलता गया। वर्ष 2012 में बसपा ने फिर अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया, जो गलत साबित हुआ। यही हाल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी हुआ। इंडिया गठबंधन में दरार की ख़बरों के बीच आरजेडी चीफ लालू यादव का बड़ा बयान आया है. उन्होंने इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व को लेकर ममता बनर्जी का समर्थन किया है. लालू ने कहा कि कांग्रेस के आपत्ति जताने से कुछ नहीं होगा. ममता को नेतृत्व दिया जाए।