दिल की सेहत के लिए बेहतर है कौन सा तेल? जानिए जैतून और सरसों के तेल के फायदे और सीमाएं
CM Pushkar Singh Dhami has made it clear that any attempt to tarnish the image of the government will not be tolerated.

हमारे दैनिक आहार में खाना पकाने के तेल की भूमिका बेहद अहम होती है। नाश्ते से लेकर रात के भोजन तक हम कई प्रकार के तेलों का उपयोग करते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तेल का अत्यधिक सेवन न केवल शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, बल्कि यह हृदय संबंधी बीमारियों को भी जन्म दे सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कौन-सा तेल हमारे दिल के लिए ज्यादा लाभकारी है — जैतून का तेल या सरसों का तेल?
जैतून का तेल: हृदय के लिए फायदेमंद विकल्प
जैतून का तेल, विशेष रूप से एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और ओलिक एसिड से भरपूर होता है। यह अच्छे (HDL) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और खराब (LDL) कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार, जैतून के तेल के सेवन से मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स और विटामिन E जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में सूजन को कम करते हैं और हृदय को ऑक्सीडेटिव क्षति से बचाते हैं।
सरसों का तेल: पारंपरिक और पोषक तत्वों से भरपूर
सरसों का तेल भारतीय रसोई, खासकर उत्तर भारत में, लंबे समय से उपयोग में लाया जा रहा है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं जो रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करते हैं और ब्लड क्लॉट बनने से रोकते हैं। इसके अलावा, इसमें मौजूद प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट सूजन को कम करते हैं और दिल की सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं। भारत में लिपिड एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे ‘हार्ट फ्रेंडली’ तेल की सूची में शामिल किया है।
कौन सा है बेहतर विकल्प?
विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों तेलों में लाभकारी तत्व मौजूद हैं, लेकिन जैतून का तेल हृदय स्वास्थ्य के लिए थोड़ा अधिक लाभकारी माना जाता है। यह सूजन कम करने, खराब कोलेस्ट्रॉल घटाने और रक्तचाप नियंत्रित करने में प्रभावशाली होता है। हालांकि, सरसों का तेल भी दिल के लिए अच्छा है, लेकिन इसमें मौजूद एरुसिक एसिड के कारण इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
यदि आप अपने दिल की सेहत को प्राथमिकता दे रहे हैं, तो जैतून का तेल बेहतर विकल्प हो सकता है। हालांकि, सरसों का तेल भी पारंपरिक व्यंजनों में स्वाद और पोषण प्रदान करता है। संतुलित मात्रा और विविधता के साथ इनका उपयोग करना ही सबसे समझदारी भरा निर्णय होगा।