महाकुंभ 2025: जानिए दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम की खास बातें
Maha Kumbh 2025: Know the special things about the world's largest religious gathering

मेला: आध्यात्मिकता का महोत्सव
महाकुंभ मेला, प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है। इस महोत्सव में करोड़ों श्रद्धालु, संत और साधक शामिल होते हैं।
महाकुंभ का केंद्र बिंदु है शाही स्नान, जो आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए एक पवित्र अवसर माना जाता है।
मेले की अवधि
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक होगा।
- आज (28 जनवरी 2025) महाकुंभ का 16वां दिन है।
- मेले की समाप्ति में अब 29 दिन शेष हैं।
इस आयोजन में अब तक लगभग 15 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं, और अनुमान है कि पूरे मेले में करीब 45 करोड़ लोग हिस्सा लेंगे।
मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ का अनुमान
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अवसर पर श्रद्धालुओं का संगम में स्नान के लिए तांता लगने की संभावना है।
- अब तक का स्नान रिकॉर्ड: 15 करोड़ श्रद्धालु।
- मौनी अमावस्या पर अनुमानित भीड़: 10 करोड़ श्रद्धालु।
महाकुंभ 2025: शाही स्नान के शुभ संयोग
महाकुंभ में छह शाही स्नान होते हैं, जिन्हें विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
- 13 जनवरी 2025: पहला शाही स्नान (प्रारंभिक स्नान)।
- 14 जनवरी 2025: दूसरा शाही स्नान (मकर संक्रांति)।
- 29 जनवरी 2025: तीसरा शाही स्नान (मौनी अमावस्या)।
- 3 फरवरी 2025: चौथा शाही स्नान (बसंत पंचमी)।
- 12 फरवरी 2025: पांचवां शाही स्नान (माघी पूर्णिमा)।
- 26 फरवरी 2025: छठा और अंतिम शाही स्नान (महाशिवरात्रि)।
मान्यता और महिमा
मान्यता है कि महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस मेले में न केवल देश के हर कोने से लोग आते हैं, बल्कि विदेशों से भी तीर्थयात्री बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। त्रिवेणी संगम पर स्नान और ध्यान की परंपरा हर भक्त को आत्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।
नोट: श्रद्धालुओं को महाकुंभ में जाने से पहले मौसम और भीड़ के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए पूरी तैयारी करनी चाहिए।