
मुंबई – मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 872 अंक गिरकर 81,186.44 पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 1.05% की गिरावट के साथ 24,683.90 के स्तर पर आ गया। बाजार में यह गिरावट वैश्विक स्तर पर फैली चिंता और अमेरिका से जुड़ी आर्थिक खबरों के चलते आई।
तेजी के साथ खुला बाजार, दिन में बिगड़ा रुख
कारोबारी दिन की शुरुआत मजबूत संकेतों के साथ हुई थी। सेंसेक्स ने सुबह 164 अंकों की तेजी के साथ 82,224.31 पर शुरुआत की और निफ्टी भी 24,999.10 पर खुला। हालांकि, दोपहर होते-होते वैश्विक दबाव के चलते निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी, जिससे बाजार लाल निशान में चला गया और गिरावट बढ़ती चली गई।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी असर
सिर्फ बड़ी कंपनियों के शेयर ही नहीं, बल्कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली। बीएसई मिडकैप इंडेक्स 1.26% गिरा, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.68% की गिरावट दर्ज हुई। यह संकेत करता है कि बाजार में चौतरफा दबाव देखने को मिला।
गिरावट की मुख्य वजहें क्या रहीं?
शेयर बाजार की इस कमजोरी के पीछे कई अहम कारण रहे:
- अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग में गिरावट:
मूडीज ने अमेरिका की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को घटाकर AA1 कर दिया है, जिससे निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा। - भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर संशय:
चीन और यूके के साथ अमेरिका के सफल समझौतों के बाद भारत के साथ वार्ता को लेकर कोई ठोस प्रगति न होने से निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है। - घरेलू मोर्चे पर सकारात्मक खबरों की कमी:
हाल के कुछ सत्रों से भारतीय बाजार में कोई नया ट्रिगर नहीं आया है, जिससे तेजी का समर्थन नहीं मिल पाया।
निवेशकों को सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के बीच निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए। शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग से बचते हुए दीर्घकालिक रणनीति अपनाना ज्यादा बेहतर रहेगा।
भारतीय शेयर बाजार की यह गिरावट दिखाती है कि वैश्विक घटनाक्रम का प्रभाव घरेलू बाजारों पर कितनी तेजी से पड़ता है। आने वाले दिनों में निवेशकों को हर कदम सोच-समझकर उठाने की आवश्यकता है।