Blogदेश

Madras High Court’s decision: मुस्लिम पति के बिना कानूनी तलाक दूसरी शादी को मान्यता नहीं, पहली पत्नी को मिलेगा गुजारा भत्ता

Muslim husband's second marriage without legal divorce is not recognized, first wife will get alimony

मदुरै: तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के एक मुस्लिम डॉक्टर जोड़े के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। इस मामले में महिला ने घरेलू हिंसा के खिलाफ 2018 में पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट ने पति को मानसिक क्षति के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा और 25,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

महिला के पति ने मद्रास हाईकोर्ट में आपराधिक समीक्षा याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने 2017 में तीन बार तलाक के नोटिस भेजे थे और शरीयत काउंसिल ने तलाक की स्वीकृति दी थी। लेकिन जज ने कहा कि बिना कानूनी तलाक के दूसरी शादी की अनुमति नहीं है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पत्नी को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है, चाहे पति का धर्म उसे चार शादियों की इजाजत देता हो।

जज ने यह भी कहा कि पति द्वारा दिए गए तलाक नोटिस का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, और केवल राज्य द्वारा गठित अदालत ही तलाक को मान्यता दे सकती है। इस प्रकार, अदालत ने पत्नी के अधिकारों की पुष्टि करते हुए कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत उसे गुजारा भत्ता प्राप्त करने का पूरा अधिकार है।

इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि धार्मिक प्रथाओं और कानूनी नियमों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि किसी भी विवाह में अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करना जरूरी है, ताकि घरेलू हिंसा के मामलों में पीड़ितों को न्याय मिल सके।

यह मामला महिलाओं के अधिकारों और उनके संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल पेश करता है, जो यह दर्शाता है कि कानूनी प्रणाली सभी प्रकार की शादियों में उचित अधिकारों की रक्षा करती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button