
लेह, 26 जून 2025: लद्दाख में विज्ञान, शिक्षा और पर्यटन को एकसाथ जोड़ने वाली ऐतिहासिक पहल की जा रही है। यहां 27 और 28 जून को पहली बार एस्ट्रो फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। यह कार्यक्रम लेह के तारू इलाके में लद्दाख विश्वविद्यालय परिसर में होगा, जिसका उद्देश्य लोगों को खगोल विज्ञान से जोड़ना और खगोल पर्यटन को बढ़ावा देना है।
पर्यटन विभाग और IIA की साझेदारी
फेस्टिवल का आयोजन लेह पर्यटन विभाग और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के सहयोग से किया जा रहा है। इस आयोजन की तैयारियों की समीक्षा उपायुक्त रोमिल सिंह डोंक (IAS) ने की, जिसमें उन्होंने सभी संबंधित विभागों को समन्वित प्रयासों के साथ काम करने के निर्देश दिए।
खगोल विज्ञान का अनुभव: दिन में व्याख्यान, रात को तारों का दर्शन
यह दो दिवसीय फेस्टिवल विज्ञान और आकाशीय रोमांच का मिश्रण होगा। दिन के समय विशेषज्ञ खगोल वैज्ञानिकों द्वारा सेमिनार और व्याख्यान लिए जाएंगे, जिसमें ब्रह्मांड से जुड़ी जिज्ञासाओं का समाधान किया जाएगा।
रात के समय प्रतिभागियों को हाई-पावर टेलीस्कोप से तारों और आकाशगंगाओं का अवलोकन करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे ब्रह्मांड के करीब जा सकेंगे।
प्रशासनिक तैयारियों पर ज़ोर
सहायक निदेशक (पर्यटन) ने कार्यक्रम से जुड़ी व्यवस्थाओं जैसे टेंट, साफ-सफाई, जलापूर्ति और ट्रैफिक नियंत्रण की समीक्षा की। नगर समिति, पीएचई और स्वास्थ्य विभाग को बेहतर समन्वय के साथ आयोजन को सफल बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
हानले: भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व
लद्दाख के हानले क्षेत्र को भारत का पहला डार्क स्काई रिजर्व घोषित किया गया है। यह क्षेत्र खगोल अवलोकन के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है। यहां स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला देश की प्रमुख विज्ञान प्रयोगशालाओं में से एक है, जहां अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च होती है।
युवाओं और पर्यटकों के लिए अवसर
एस्ट्रो फेस्टिवल खासकर विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और अंतरिक्ष में रुचि रखने वालों के लिए अनोखा अवसर है। यह आयोजन लद्दाख को खगोल पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर लाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस पहल के ज़रिए लद्दाख न केवल विज्ञान और पर्यटन को जोड़ रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी नई दिशा देने का प्रयास कर रहा है। यदि यह फेस्टिवल सफल रहता है, तो आने वाले वर्षों में यह एक नियमित आयोजन बन सकता है।