आपदा या सत्ता संग्राम? देहरादून से पिथौरागढ़ तक अफसर-नेता की जंग ने बढ़ाई हलचल
Disaster or power struggle? From Dehradun to Pithoragarh, the battle between officers and politicians has sparked a stir.

देहरादून: उत्तराखंड में हाल की आपदाओं ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच बढ़ती तल्खी को एक नया मोड़ दे दिया है। देहरादून में बादल फटने और भारी बारिश के बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और जिलाधिकारी के बीच विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप लगाकर सियासी हलचल मचा दी है।
आपदा के बीच अफसरों का रवैया विवादित
राज्य में भारी बारिश और भूस्खलन से कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ऐसे समय में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल बेहद जरूरी है। लेकिन हालिया घटनाक्रम इस तालमेल में खाई दिखा रहे हैं। देहरादून में आपदा के दौरान जिलाधिकारी संबिन बंसल और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के बीच विवाद पहले ही चर्चा में था। अब कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने अपने जिले पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी विनोद गिरी और अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाकर नया विवाद खड़ा किया है।
हरीश धामी के आरोप
धारचूला से विधायक हरीश धामी का कहना है कि आपदा के समय जिलाधिकारी और प्रशासन के कुछ अन्य अधिकारी उनका फोन तक नहीं उठाते। धामी ने यह कदम जनता और जनप्रतिनिधियों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैये के रूप में बताया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
पहले भी हो चुके विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब आपदा के समय अधिकारी द्वारा फोन न उठाने को लेकर विवाद हुआ हो। देहरादून में हाल ही में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने जिलाधिकारी संबिन बंसल पर फोन न उठाने का आरोप लगाया था। उस समय कांग्रेस नेताओं ने डीएम का समर्थन किया था, जबकि अब उनकी ही पार्टी का विधायक इसी मुद्दे पर अधिकारी को दोषी ठहरा रहा है।
सदन में कार्रवाई की मांग
हरीश धामी ने कहा, “आपदा के हालात में जनता सबसे पहले जनप्रतिनिधियों से संपर्क करती है। जब अधिकारी यह नहीं निभाते, तो यह जनता के प्रति अपमान है। ऐसे अधिकारियों को सदन में बुलाकर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।” उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के रूप में उठाने की बात कही।
सरकार और प्रशासन पर दबाव
विधायक के आरोपों ने राज्य की सियासत में हलचल बढ़ा दी है। पहले से ही आपदा प्रबंधन को लेकर विपक्ष सरकार पर दबाव बना रहा था। अब कांग्रेस विधायक द्वारा अपने क्षेत्र के जिलाधिकारी पर आरोप लगाए जाने से प्रशासन और सरकार दोनों के लिए चुनौती बढ़ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही आपदा प्रभावित जिलों में राहत कार्यों की गति बढ़ाने के निर्देश दे चुके हैं।
जनता की चिंता
बारिश और भूस्खलन से प्रभावित इलाकों में जनता राहत और बचाव कार्यों की तेजी की मांग कर रही है। अफसर-नेता के बीच खींचतान से राहत कार्यों में देरी की आशंका बढ़ रही है।
उत्तराखंड में आपदा के समय अफसरों और नेताओं के बीच यह बढ़ती टकराव केवल सियासी बहस का मुद्दा नहीं, बल्कि राहत और बचाव कार्यों की गति पर भी असर डाल सकती है। अब सबकी निगाहें सरकार और विधानसभा की कार्रवाई पर टिकी हैं कि क्या दोषी अधिकारियों पर ठोस कदम उठाए जाएंगे या मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाएगा।