अमेरिकी टैरिफ राहत की उम्मीद धुंधली, भारत को नए बाजारों की तलाश की सलाह
Hopes of US tariff relief fade, India advised to look for new markets

नई दिल्ली: वैश्विक व्यापारिक तनावों और अमेरिका-रूस वार्ता से ठोस नतीजा न निकलने के बाद भारत के लिए अमेरिकी टैरिफ राहत की संभावनाएं कमजोर हो गई हैं। अमेरिकी प्रशासन ने अब तक भारतीय निर्यात पर लगाए गए टैरिफ में किसी ढील का संकेत नहीं दिया है। ऐसे में विशेषज्ञ और नीति निर्माता भारत को सक्रिय रूप से नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों की खोज और घरेलू उद्योगों को सशक्त बनाने की सलाह दे रहे हैं।
वैकल्पिक बाजारों पर जोर
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारत को अमेरिका पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके बजाय सरकार और उद्योगों को नए व्यापारिक गंतव्यों की पहचान करनी होगी। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर उद्योगों को सहयोग और प्रोत्साहन देना बेहद जरूरी है ताकि अमेरिकी टैरिफ का असर भारत की निर्यात अर्थव्यवस्था पर कम से कम पड़े।
निर्यात उन्मुख उद्योगों पर ध्यान
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जहां पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मौजूद है। इनमें रत्न और आभूषण, चमड़े के उत्पाद, वस्त्र और परिधान प्रमुख हैं। ये उद्योग वर्षों से भारतीय निर्यात अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने हुए हैं। यदि इन्हें नए बाजारों तक पहुंचाया जाए तो न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत होगा।
संवेदनशील क्षेत्रों में संतुलन की जरूरत
राजीव कुमार ने यह भी कहा कि डेयरी उत्पाद जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत को सावधानीपूर्वक रणनीति अपनानी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत कुछ अमेरिकी उत्पादों की सीमित खरीद पर विचार कर सकता है ताकि व्यापारिक रिश्तों में संतुलन बना रहे। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि यह किसी भी स्थिति में देश के व्यापक आर्थिक हितों के साथ समझौता करके नहीं होना चाहिए।
व्यापारिक यथास्थिति की संभावना
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के सह-संस्थापक अजय कुमार ने बताया कि हालिया ट्रंप-पुतिन बैठक के नतीजों को देखते हुए निकट भविष्य में अमेरिका द्वारा नए टैरिफ लगाने की संभावना कम है। इसका सीधा अर्थ है कि भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा व्यापारिक संबंध फिलहाल यथास्थिति में ही बने रहेंगे। हालांकि, किसी राहत की उम्मीद रखना व्यावहारिक नहीं होगा।
सक्रिय रणनीति की दरकार
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब व्यापार नीति में आक्रामक और दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसमें वैकल्पिक बाजारों की पहचान, घरेलू उद्योगों को सशक्त करना और निर्यात केंद्रित क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धी बनाना शामिल है। ऐसा करने से भारत न केवल अमेरिकी टैरिफ से पैदा हुए दबाव से उबर पाएगा, बल्कि नए अवसरों को भी साध सकेगा।