डिजिटल उत्तराखंड: पारदर्शिता और सुशासन की ओर एक ठोस कदम
Digital Uttarakhand: A solid step towards transparency and good governance

देहरादून, 22 जुलाई 2025 – उत्तराखंड सरकार ने नागरिक सेवाओं को सुगम, पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “डिजिटल उत्तराखंड” प्लेटफॉर्म के त्वरित क्रियान्वयन के निर्देश देते हुए इसे राज्य में गुड गवर्नेंस की दिशा में गेमचेंजर करार दिया है।
सभी सेवाओं के लिए एकीकृत डिजिटल एक्सेस प्वाइंट
यह नया डिजिटल प्लेटफॉर्म राज्य की सभी सरकारी योजनाओं और सेवाओं को एक ही पोर्टल पर उपलब्ध कराएगा। इसके जरिए नागरिक योजनाओं की जानकारी, आवेदन की स्थिति, लाभ वितरण और कार्यप्रगति को आसानी से ट्रैक कर सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना है, बल्कि जनता को किसी भी सेवा के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने से भी मुक्ति दिलाना है।
मुख्यमंत्री ने की विस्तृत समीक्षा बैठक
मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में एक उच्चस्तरीय बैठक में प्लेटफॉर्म के विकास और प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि राज्य को डिजिटल युग की मुख्यधारा में लाने के लिए यह योजना निर्णायक साबित होगी। इसके माध्यम से शासन प्रणाली अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनेगी और सेवा वितरण प्रक्रिया में सुधार आएगा।
तकनीक से सुशासन की नींव होगी मजबूत
बैठक में सचिव सूचना प्रौद्योगिकी नितेश झा ने बताया कि यह प्लेटफॉर्म डेटा-आधारित प्रशासन को बढ़ावा देगा। इससे न केवल कार्य क्षमता में सुधार होगा, बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसे सरल, सुरक्षित और यूजर फ्रेंडली बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सभी विभागों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस परियोजना की सफलता सभी विभागों की तत्परता और सहयोग पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचारों के जरिये नागरिक सेवाओं की उपलब्धता को आसान बनाया जाए और हर वर्ग तक इसका लाभ पहुंचे।
जनभागीदारी को मिलेगा विशेष महत्व
राज्य सरकार डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों के माध्यम से आम जनता को इस प्रणाली से जोड़ना चाहती है। उद्देश्य यह है कि लोग स्वयं डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकें और सरकारी सेवाओं का लाभ बिना किसी मध्यस्थ के ले सकें।
प्रशासनिक सुधार का प्रतीक बनेगा यह मॉडल
डिजिटल उत्तराखंड केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि यह व्यापक प्रशासनिक सुधार की ओर संकेत करता है। अगर यह योजना समयबद्ध ढंग से लागू होती है, तो उत्तराखंड देशभर में सुशासन का उदाहरण बनकर उभरेगा।