सोशल मीडिया पर केदारनाथ-बदरीनाथ धाम की छवि से खिलवाड़, बीकेटीसी सख्त, फर्जी प्रचार और व्यूज की होड़ से सनातन पर संकट
Kedarnath-Badrinath Dham's image is being tampered with on social media, BKTC is strict, Sanatan is in trouble due to fake publicity and competition for views

उत्तराखंड के चारधाम—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री—न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी और पहचान का आधार भी हैं। इनमें सबसे अधिक चर्चा में रहने वाले केदारनाथ और बदरीनाथ धाम, अब केवल श्रद्धा का केंद्र नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के कंटेंट क्रिएटर्स के लिए “टीआरपी हब” बनते जा रहे हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों में आकर पुण्य कमाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इन धामों की पवित्रता और गरिमा को कुछ सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा केवल “व्यूज” और “लाइक्स” के लिए भुनाया जा रहा है।
चारधाम यात्रा के दौरान विशेष रूप से केदारनाथ धाम में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों की बाढ़ सी आ जाती है। वे यहां की प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक अनुष्ठान और तीर्थ यात्रियों की भीड़ को अपने कंटेंट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। कुछ हद तक यह धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाला हो सकता है, लेकिन जब यह सीमाएं लांघने लगे, तो आस्था पर चोट पहुंचती है।
व्यूज की होड़ में धर्म का अपमान
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अनुसार, कपाट खुलने के दिन जब मंदिरों में पूजा-अर्चना हो रही थी, तब वहां खड़े 99% लोग केवल कैमरे में कैद करने में व्यस्त थे, जबकि केवल 1% लोग ही सच्चे भाव से हाथ जोड़कर प्रार्थना करते नजर आए। यह स्थिति केवल धर्म और आस्था का उपहास ही नहीं, बल्कि समाज में एक गलत संदेश भी प्रेषित करती है।
बीकेटीसी के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि इन सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों की गतिविधियों का सीधा असर धामों की छवि और मंदिर समिति की आमदनी पर पड़ता है। इन वीडियो के कारण श्रद्धालुओं में भ्रम फैलता है, और मंदिरों के रखरखाव हेतु जो दान राशि मिलती है, उसमें भी गिरावट देखने को मिल रही है।
फर्जी ऑनलाइन पूजा और भ्रामक प्रचार
एक नई चिंता यह भी है कि कुछ फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट और वेबसाइटें, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में “ऑनलाइन पूजा” कराने के नाम पर श्रद्धालुओं से पैसे ऐंठ रही हैं। बीकेटीसी ने स्पष्ट किया है कि मंदिर समिति द्वारा इस तरह की कोई सुविधा नहीं दी जाती, और ये सारी गतिविधियां न केवल अवैध हैं बल्कि आस्था के साथ बड़ा छलावा भी हैं।
इस तरह के भ्रामक प्रचार पर लगाम लगाने के लिए समिति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। खासकर एक मामले में “शिव धाम फाउंडेशन” नामक फेसबुक पेज द्वारा एक अन्य मंदिर का वीडियो पोस्ट कर उसे बदरीनाथ धाम बताया गया और चंदा मांगा गया। समिति ने इस पर आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि अगर इस वीडियो को हटाया नहीं गया और भ्रम फैलाने का प्रयास बंद नहीं हुआ, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सनातन की नींव को नुकसान
बीकेटीसी का मानना है कि इस तरह की हरकतें केवल धामों की छवि खराब नहीं करतीं, बल्कि सनातन धर्म की जड़ों को भी कमजोर करती हैं। केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे धाम विश्वभर में सनातन धर्म के प्रतीक हैं। जब वहां आस्था की जगह दिखावा और टीआरपी का खेल शुरू हो जाए, तो यह पूरे धार्मिक वातावरण के लिए खतरा बन जाता है।