श्रावण मास 2025: भगवान शिव की उपासना का पवित्र महीना, जानिए पूजा-व्रत की संपूर्ण जानकारी
Shravan month 2025: The holy month of worship of Lord Shiva, know complete information about worship and fasting

हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास को भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है। इस वर्ष 2024 में श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है, जो पूरी तरह शिव भक्ति और साधना को समर्पित रहेगा। इस दौरान श्रद्धालु व्रत, जलाभिषेक, मंत्र जाप और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
श्रावण मास का महत्व और पूजन विधि
श्रावण माह को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस मास में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही, घी और बेलपत्र चढ़ाकर पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस माह भगवान शिव की उपासना करने से पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस मास में आने वाले हर सोमवार को विशेष महत्व दिया जाता है, जिसे श्रावण सोमवार कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने और शिव पूजन करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं, जबकि पुरुष मोक्ष और मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए उपवास करते हैं।
श्रावण सोमवार की तिथियां (2024)
- 28 जुलाई – चावल अर्पण
- 2 अगस्त – तिल अर्पण
- 11 अगस्त – मूंग अर्पण
- 18 अगस्त – जौ अर्पण
शिव को प्रिय भोग और प्रसाद
श्रावण में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं, जिनमें शहद, दूध, दही, घी और बेलपत्र प्रमुख हैं। इनसे शिव जी का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
व्रत के दौरान श्रद्धालु सात्विक भोजन का पालन करते हैं। शिव को अर्पित किए जाने वाले प्रसादों में सूजी की खीर, मालपुआ, साबूदाना खीर और मखाना खीर प्रमुख हैं। ये भोग स्वादिष्ट होने के साथ-साथ शुद्ध सात्विक भी होते हैं।
व्रत के दौरान पालन करें संयमित जीवनशैली
श्रावण मास में मांस, शराब, प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित माना गया है। इस अवधि में ध्यान, जप और मंत्रों का उच्चारण अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
श्रावण मास भक्ति, संयम और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक भगवान शिव की पूजा की जाए, तो यह माह जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शांति लेकर आता है।