देशसामाजिक

मुख्यमंत्री धामी की सुरक्षा में चूक पर मचा हड़कंप, फिटनेस विहीन वाहन से जंगल सफारी, जांच के आदेश

There was a stir over the lapse in the security of Chief Minister Dhami, jungle safari in a non-fitness vehicle, orders for investigation

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यह मामला तब उजागर हुआ जब मुख्यमंत्री कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के दौरे पर एक ऐसे वाहन में सफारी करते नजर आए जिसकी फिटनेस कई वर्षों पहले समाप्त हो चुकी थी। इस गंभीर चूक पर प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) रंजन कुमार मिश्रा को सौंपा गया है।

5 साल पहले खत्म हो चुकी थी वाहन की फिटनेस

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 6 जुलाई 2025 को नैनीताल जनपद स्थित कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर थे। इस दौरान वे एक सरकारी जिप्सी में सवार होकर जंगल सफारी पर गए। उनके साथ कॉर्बेट पार्क के निदेशक साकेत बडोला भी मौजूद थे। चौंकाने वाली बात यह है कि यह वही जिप्सी थी जिसकी फिटनेस 22 अगस्त 2020 को समाप्त हो चुकी थी। यानी लगभग पांच वर्ष पुराना वाहन बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के जंगल सफारी में उपयोग किया गया।

जांच अधिकारी करेंगे वाहन की स्थिति का निरीक्षण

वन विभाग के पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ रंजन कुमार मिश्रा को मामले की जांच सौंपी गई है। वे जल्द ही कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जाकर उस जिप्सी की स्थिति का निरीक्षण करेंगे जिसमें मुख्यमंत्री सफारी पर गए थे। इसके अलावा वे यह भी देखेंगे कि इस वाहन को उपयोग में लाने की अनुमति किसने दी और किस स्तर पर लापरवाही हुई। जांच रिपोर्ट कुछ ही दिनों में उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी।

पहले भी हुई थी लापरवाही, नहीं मिला ठोस परिणाम

गौरतलब है कि इससे पहले भी राजाजी टाइगर रिजर्व में एक वाहन दुर्घटना के बाद छह लोगों की मौत हो चुकी है, जिसकी जांच में डेढ़ वर्ष का समय निकल गया लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल सका। उस दुर्घटना के बाद भी घायल चिकित्सक पर सवाल उठाए गए थे, जबकि उच्च स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका पर सवालचिन्ह बने रहे।

सवालों के घेरे में विभागीय कार्रवाई

विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने खुद स्वीकार किया है कि जिस वाहन में मुख्यमंत्री सवार थे, उसकी फिटनेस समय पर नहीं कराई गई थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब खुद विभाग यह गलती मान चुका है, तो फिर जांच अधिकारी किस पहलू की जांच करेंगे? क्या इस बार भी सिर्फ कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहेगा मामला या फिर किसी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होगी?

मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक पर सख्त रुख

मुख्यमंत्री से जुड़ा मामला होने के कारण शासन-प्रशासन अब इसे हल्के में नहीं ले रहा है। प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने भी इस प्रकरण का संज्ञान लिया है और स्पष्ट कर दिया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा को लेकर सजगता जरूरी

यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि उच्च स्तर के सुरक्षा मानकों की अनदेखी किस हद तक की जा रही है। मुख्यमंत्री जैसे संवेदनशील पद पर बैठे व्यक्ति की सुरक्षा से किसी भी प्रकार की चूक न केवल खतरे को बढ़ाती है, बल्कि विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है। अब देखना होगा कि जांच के बाद क्या कोई ठोस कदम उठाया जाता है या यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button