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उत्तराखंड: प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के साथ तीन राजनीतिक मिथकों की चर्चा तेज

Uttarakhand: Discussion of three political myths intensifies with the resignation of Premchand Agarwal

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा और उठते सवाल

उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के साथ ही राज्य की राजनीति में कई मिथकों की चर्चा तेज हो गई है। यह इस्तीफा न केवल एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इससे तीन प्रमुख मिथकों को भी बल मिला है। इनमें मार्च महीने में राजनीतिक उठा-पटक, ऋषिकेश विधानसभा सीट से जुड़े इतिहास और सरकारी कोठी R-2 को मनहूस माने जाने की बातें प्रमुख हैं।

मार्च: उत्तराखंड की राजनीति में उठापटक का महीना

उत्तराखंड की राजनीति में मार्च का महीना हमेशा महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा इसी कड़ी में जुड़ गया है।

  • 2016 में हरीश रावत सरकार का संकट: मार्च 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार उस समय राजनीतिक संकट में घिर गई थी जब कई विधायकों ने बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसी दौरान उत्तराखंड में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
  • 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई: मार्च 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अचानक अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
  • 2024 में प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा: अब एक बार फिर मार्च के महीने में वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को पद छोड़ना पड़ा है। इस घटनाक्रम से यह मिथक और भी मजबूत हुआ है कि मार्च का महीना उत्तराखंड की राजनीति में उथल-पुथल लेकर आता है।

क्या R-2 कोठी है मनहूस?

प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के साथ ही यमुना कॉलोनी स्थित सरकारी कोठी R-2 को मनहूस मानने का मिथक भी चर्चा में आ गया है।

  • इससे पहले, हरक सिंह रावत जब इस कोठी में रहे, तब भी उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
  • शूरवीर सजवाण भी जब इसी बंगले में रहते थे, तब उन्हें भी मंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
  • अब प्रेमचंद अग्रवाल को भी इस कोठी में रहने के दौरान ही पद छोड़ना पड़ा।

इस वजह से यह कोठी अब उत्तराखंड की राजनीति में “मनहूस बंगला” के रूप में चर्चित हो गई है।

ऋषिकेश विधानसभा सीट का अधूरा मंत्री कार्यकाल मिथक

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद ऋषिकेश विधानसभा सीट से मंत्री बनने वाले विधायक कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

  • तिवारी सरकार में शूरवीर सिंह सजवाण: 2002 में मंत्री बने, लेकिन आधे कार्यकाल में ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
  • 2022 में प्रेमचंद अग्रवाल: ऋषिकेश के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को भी मंत्री बनने के बाद कार्यकाल अधूरा छोड़ना पड़ा।

अब इस विधानसभा सीट से मंत्री बनने वालों का कार्यकाल अधूरा रहने का मिथक और मजबूत हो गया है।

भविष्य में और बड़े राजनीतिक बदलाव की संभावना

मार्च महीने में अभी कुछ और दिन बाकी हैं और उत्तराखंड की राजनीति में अगले कुछ दिनों में और बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

  • कैबिनेट विस्तार की संभावना जताई जा रही है।
  • कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है।
  • नए चेहरे सरकार में शामिल किए जा सकते हैं।

नेताओं की प्रतिक्रिया

भाजपा विधायक खजानदास का कहना है कि राजनीतिक मिथकों को लेकर जनता में विश्वास बना रहता है और प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे से इन चर्चाओं को और बल मिला है।

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह का कहना है कि मार्च का महीना वित्तीय वर्ष का अंत होने के कारण अक्सर राजनीतिक बदलाव लेकर आता है और प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे को भी इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए।

उत्तराखंड की राजनीति में प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि कई पुरानी मान्यताओं को फिर से चर्चा में ले आया है। मार्च महीने की उथल-पुथल, R-2 कोठी से जुड़ी मान्यता और ऋषिकेश सीट से मंत्री बनने वाले विधायकों का अधूरा कार्यकाल, इन सभी मिथकों ने एक बार फिर लोगों का ध्यान खींचा है। अब देखना यह है कि क्या आने वाले दिनों में यह मिथक और मजबूत होते हैं या सिर्फ संयोग साबित होते हैं।

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