
ऋषिकेश: पूरे देश में होली का उल्लास छाया हुआ है। वैसे तो रंगों का यह महापर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन इसकी मस्ती और रंगीन माहौल 13 मार्च से ही हर ओर दिखाई देने लगा है। ऋषिकेश में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में भाग लेने आए विदेशी मेहमान भी इस रंग-बिरंगे त्योहार में पूरी तरह से सराबोर नजर आए।
ऋषिकेश में विदेशी मेहमानों ने जमकर खेली होली
गंगा तट पर बसे ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में 100 से अधिक देशों से आए योग साधकों और पर्यटकों ने भारतीय संस्कृति के इस रंगीन पर्व का भरपूर आनंद लिया। पारंपरिक गुलाल उड़ाते हुए, ढोल-नगाड़ों की धुन पर थिरकते हुए विदेशी मेहमानों ने भारतीय लोकगीतों पर भी जमकर नृत्य किया। यह नज़ारा दिखाता है कि होली की मस्ती सिर्फ भारत तक सीमित नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।
कुमाऊं में खड़ी होली की गूंज, होल्यारों की टोलियों ने बांधा समां
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में होली का एक अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। यहां खड़ी होली और बैठकी होली की अनूठी परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे इस वर्ष भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। हल्द्वानी, अल्मोड़ा, नैनीताल और बागेश्वर जैसे शहरों और गांवों में होल्यारों की टोलियां पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर ढोल-मंजीरों की थाप पर होली के गीत गाती नजर आ रही हैं।
खड़ी होली में पुरुष एक स्थान पर खड़े होकर समूह में शास्त्रीय रागों के साथ होली गीत गाते हैं, जबकि बैठकी होली में लोग बैठकर भक्ति और संगीत से सराबोर होकर होली का आनंद लेते हैं। माना जाता है कि यह परंपरा कुमाऊं में चंद राजाओं के शासनकाल से चली आ रही है, जो धीरे-धीरे आम जनता तक पहुंची और आज कुमाऊं की एक विशेष पहचान बन गई है।
युवाओं में भी दिख रहा पारंपरिक होली का उत्साह
पहले इस सांस्कृतिक विरासत में बुजुर्गों की अधिक भागीदारी होती थी, लेकिन अब युवा पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में जुटी है। सोशल मीडिया और आधुनिक तकनीक के माध्यम से युवा इस ऐतिहासिक विरासत को प्रचारित कर रहे हैं, जिससे यह पर्व नई पीढ़ी में भी लोकप्रिय हो रहा है।
देशभर में होली की मस्ती, हर ओर छाया उत्साह
ऋषिकेश और कुमाऊं के अलावा पूरे उत्तराखंड में होली की धूम है। हरिद्वार, देहरादून, मसूरी और टिहरी समेत अन्य शहरों में भी लोग रंगों में सराबोर हो गए हैं। उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी होली की तैयारियां जोरों पर हैं, बाजारों में रौनक बढ़ गई है और हर तरफ हर्षोल्लास का माहौल बना हुआ है।
संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम
होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह भाईचारे, प्रेम और उल्लास का पर्व भी है। ऋषिकेश में विदेशी मेहमानों द्वारा होली खेलने से लेकर कुमाऊं में सदियों पुरानी खड़ी और बैठकी होली तक, यह त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता और सुंदरता को दर्शाता है। जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे होली की पारंपरिक परंपराएं भी आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं, जिससे यह त्योहार और भी खास बन गया है।