
गुजरात दंगा मामलों की फिर से जांच, 14 गवाहों की सुरक्षा हटी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) 2002 के गुजरात दंगों के मामलों की फिर से जांच कर रही है। इसी बीच, SIT ने मामले से जुड़े सभी गवाहों की सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है।
- इन 14 गवाहों को 2009 से CISF सुरक्षा प्रदान की जा रही थी।
- SIT ने 2023 में ही इन गवाहों की सुरक्षा हटाने की सिफारिश कर दी थी।
- इससे पहले अगस्त 2021 में SIT ने 25 गवाहों की सुरक्षा हटाई थी, यह कहते हुए कि उन्हें अब कोई खतरा नहीं है।
गोधरा कांड: जहां से शुरू हुई हिंसा
- 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी गई थी।
- ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे कारसेवक सवार थे, जिनमें से 58 लोगों की जलकर मौत हो गई थी।
- इस घटना के बाद पूरे गुजरात में भयानक सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।
- स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि केंद्र सरकार को सेना की तैनाती करनी पड़ी थी।
भारत में सांप्रदायिक हिंसा की सबसे गंभीर घटनाओं में से एक
- 2002 के गुजरात दंगे भारत के इतिहास में सबसे भीषण सांप्रदायिक घटनाओं में शामिल माने जाते हैं।
- इस दौरान लूटपाट, आगजनी, रेप और संपत्तियों को नष्ट करने की घटनाएं सामने आईं।
- लगभग 200,000 लोग विस्थापित हुए, जिनमें से कई अपने घरों को वापस नहीं लौट सके और नए इलाकों में बसने को मजबूर हुए।
अब आगे क्या?
SIT की जांच के चलते यह देखना होगा कि गवाहों की सुरक्षा हटाने के बाद क्या कोई नई चुनौती सामने आती है। गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न्याय प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे निष्पक्ष जांच और न्यायिक प्रक्रिया को पूरा किया जा सके।