
देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए परिवहन विभाग ने चारधाम यात्रा से पहले वाहनों की गति सीमा निर्धारित करने का निर्णय लिया था। इसके लिए सड़क यातायात शिक्षा संस्थान, फरीदाबाद की टीम ने एक अध्ययन किया, जिसमें वैज्ञानिक आधार पर गति सीमा तय करने की प्रक्रिया समझाई गई। हालांकि, अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अधिकारियों का कहना है कि हरिद्वार और देहरादून शहरों की गति सीमा वैज्ञानिक तरीके से तय करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
वैज्ञानिक पद्धति से होगा गति सीमा निर्धारण
प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन विभाग ने गति सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने का निर्णय लिया था। इस उद्देश्य से विभाग ने आईआरटीई, फरीदाबाद के साथ एक समझौता (MoU) किया। इसके तहत सड़क यातायात शिक्षा संस्थान, फरीदाबाद की टीम ने ऋषिकेश से बदरीनाथ मार्ग की गति सीमा का अध्ययन किया और विभाग के अधिकारियों को इसकी प्रक्रिया से अवगत कराया। हालांकि, अब तक अन्य सड़कों के गति निर्धारण पर काम नहीं हो सका है।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग मार्ग के लिए गति सीमा तय
परिवहन विभाग ने पहले चरण में ऋषिकेश से कर्णप्रयाग मार्ग पर गति सीमा निर्धारित करने के लिए अध्ययन करवाया। इसमें विशेषज्ञों ने 20 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति सीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया है। खासतौर पर पर्वतीय मार्गों पर गति सीमा 25 किलोमीटर प्रति घंटा रखने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, इस मार्ग पर 200 ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां अनिवार्य रूप से साइन बोर्ड लगाए जाएंगे।
हरिद्वार और देहरादून के लिए भी होगी नई गति सीमा
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ ऋषिकेश-कर्णप्रयाग मार्ग ही नहीं, बल्कि हरिद्वार और देहरादून जैसे शहरों में भी गति सीमा का वैज्ञानिक तरीके से निर्धारण किया जाएगा। इसके लिए संबंधित संस्थानों से प्रस्ताव मांगे गए हैं, जिनकी समीक्षा के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
विभाग की अपील
परिवहन उप आयुक्त राजीव मेहरा ने कहा कि प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण तेज गति से वाहन चलाना है। इसलिए सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सड़कों की गति सीमा वैज्ञानिक आधार पर तय की जाए। उन्होंने जनता से अपील की कि वे नई गति सीमाओं का पालन करें, जिससे सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
निष्कर्ष
उत्तराखंड सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर उठाए गए ये कदम चारधाम यात्रा और अन्य पर्यटन मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाने में मददगार साबित होंगे। यदि निर्धारित गति सीमा का पालन किया गया, तो सड़क दुर्घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।