
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे, जो देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है, के कर्मचारी 10 फरवरी को विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं। रेलवे में 12 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं और विभिन्न संगठनों ने इस प्रदर्शन का आह्वान किया है। विरोध के तहत लोकोपायलट और गार्ड ट्रेन का संचालन काला बैच लगाकर करेंगे। हालांकि, इससे यात्री सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन रेलवे के आंतरिक कामकाज पर प्रभाव पड़ सकता है।
एनपीएस और यूपीएस का विरोध
उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (एनआरएमयू) के यूथ विंग ने 10 फरवरी को नॉर्दर्न रेलवे की सभी ब्रांचों में सुबह 11 बजे से प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस दौरान नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) के खिलाफ विरोध दर्ज किया जाएगा। प्रदर्शन के दौरान रेलवे कर्मचारी यूपीएस का गजट जलाकर अपना आक्रोश प्रकट करेंगे।
गार्ड और लोको पायलट के विरोध की वजह
ऑल इंडिया गार्ड काउंसिल ने इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है, जिसे ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन का भी समर्थन प्राप्त है। इसके तहत ट्रेन के लोको पायलट और गार्ड काला बैच लगाकर ट्रेन का संचालन करेंगे।
गार्डों की नई जिम्मेदारी बनी विरोध का कारण
विरोध की मुख्य वजह रेलवे द्वारा गार्डों को अतिरिक्त जिम्मेदारी देना है। अब ट्रेन रुकने के बाद गार्ड को हैंडब्रेक लगाने के लिए उतरना होगा और कई कोच के पहियों के पास गुटका (ब्रेक लगाने का उपकरण) लगाना होगा। ट्रेन के चलने से पहले गार्ड को यह उपकरण हटाना भी होगा। पहले यह कार्य रेलवे स्टेशन पर तैनात कर्मचारी करते थे, लेकिन अब इसे गार्ड की जिम्मेदारी बना दिया गया है, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।
एनआरएमयू का पहले से जारी प्रदर्शन
ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) और नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) पिछले कई हफ्तों से दिल्ली मंडल के डीआरएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनियन का आरोप है कि रेलवे रूल 14.2 का दुरुपयोग कर रहा है। आरोपों के मुताबिक, रेलवे बिना जांच किए कर्मचारियों को निलंबित कर रहा है। दिल्ली मंडल में अब तक तीन कर्मचारियों को इसी तरह सस्पेंड किया जा चुका है।
रेलवे कर्मचारियों की मांगें
रेलवे कर्मचारी चाहते हैं कि:
- एनपीएस और यूपीएस को खत्म किया जाए और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए।
- गार्डों की अतिरिक्त जिम्मेदारी को वापस लिया जाए और पहले की तरह यह कार्य स्टेशन स्टाफ को दिया जाए।
- रेलवे द्वारा मनमाने निलंबन को रोका जाए और निष्पक्ष जांच के बाद ही कार्रवाई की जाए।
भारतीय रेलवे का यह प्रदर्शन सरकार और रेलवे प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं और उनका कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो विरोध और तेज होगा।