
देहरादून : गहनों की दुनिया में बदलाव की बयार चल रही है। अब सोने, चांदी और हीरे के आभूषणों के साथ-साथ बांस (बैंबू) से बने ज्वेलरी प्रोडक्ट्स तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। उत्तराखंड में इस नए ट्रेंड को बढ़ावा देने के लिए बैंबू बोर्ड और जायका के सहयोग से महिलाओं और पुरुषों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
फैशन और पर्यावरण का अनोखा संगम: बांस की ज्वेलरी
बांस से बने आभूषण देश और विदेश में तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं। देहरादून, काशीपुर और हल्द्वानी में 7 दिन के ट्रेनिंग सेशन आयोजित किए गए, जहां महिलाओं को बांस की ज्वेलरी बनाने की कला सिखाई गई। ये पहल न केवल स्थानीय बाजार के लिए बल्कि वैश्विक बाजार में उत्तराखंड की उपस्थिति मजबूत करने का एक प्रयास है।
त्रिपुरा के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
उत्तराखंड में इस अनोखी पहल को सफल बनाने के लिए त्रिपुरा से मास्टर ट्रेनर्स ने महिलाओं को ट्रेनिंग दी। उनका कहना है कि भारत में बांस के आभूषणों का एक बड़ा बाजार मौजूद है, लेकिन मांग के अनुसार उत्पादन सीमित है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में इन आभूषणों की भारी मांग है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली और बागेश्वर जैसे पहाड़ी जिलों की महिलाएं इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रही हैं। टिहरी की आरती गुनसोला बताती हैं कि इस हुनर को सीखने के बाद वे स्थानीय बाजार में इसे बढ़ावा देंगी और अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षित करेंगी।
बांस से बने प्रोडक्ट में 80% तक का लाभ
बांस की ज्वेलरी में बड़ा मुनाफा देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ₹300 में खरीदा गया बांस का एक डंडा लगभग ₹1 लाख तक के प्रोडक्ट्स बना सकता है। इस अनोखे प्रयोग से स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार का विस्तार हो रहा है।
ग्लोबल बाजार की तैयारी
बैंबू बोर्ड और जायका, डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए इन उत्पादों को ग्लोबल मार्केट तक पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। अमेरिका, चीन और ओमान जैसे देशों में भी इन आभूषणों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
बांस की खेती पर जोर
उत्तराखंड में बांस की कमी को देखते हुए रिंगाल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। रॉ मटेरियल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बांस के प्लांटेशन पर भी काम किया जा रहा है।
बांस से बने आभूषणों का यह नवाचार उत्तराखंड की महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि राज्य की नई पहचान भी स्थापित कर रहा है।