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उत्तराखंड: नगर निगम, पालिका और पंचायतों के आरक्षण की फाइनल सूची जारी

Uttarakhand: Final list of reservations for Municipal Corporation, Municipality and Panchayats released

शासन ने जारी की फाइनल सूची, जन आपत्तियों का हुआ समाधान
देहरादून। जन आपत्तियों के समाधान के बाद उत्तराखंड सरकार ने नगर निगम, पालिका और पंचायतों के आरक्षण की अंतिम सूची जारी कर दी है। यह सूची आगामी सामान्य चुनाव 2024 में लागू होगी।

नगर प्रमुख पदों का आरक्षण और आवंटन
फाइनल सूची के अनुसार, राज्य के नगर निगमों में नगर प्रमुख पदों का आरक्षण इस प्रकार रहेगा:

  1. देहरादून: अनारक्षित
  2. ऋषिकेश: अनुसूचित जाति
  3. हरिद्वार: अन्य पिछड़ी जाति (महिला)
  4. रुड़की: महिला
  5. कोटद्वार: अनारक्षित
  6. श्रीनगर: महिला
  7. रुद्रपुर: अनारक्षित
  8. काशीपुर: अनारक्षित
  9. हल्द्वानी: अनारक्षित
  10. पिथौरागढ़: महिला
  11. अल्मोड़ा: अन्य पिछड़ी जाति

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन
नगर निगमों और निकायों में आरक्षण प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप की गई है। रिट पिटीशन संख्या-278/2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को समर्पित आयोग की संस्तुतियों के अनुसार अंतिम सूची तैयार की गई है।

आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243(T) के तहत नगर पालिकाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ी जातियों और महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान है।

  • अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या, उनकी जनसंख्या के अनुपात में होती है।
  • कुल आरक्षित स्थानों का कम से कम एक-तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित है।
  • अध्यक्ष पद भी अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ी जातियों और महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं।

नगर निगमों की आरक्षण प्रक्रिया
शासन ने अधिसूचना संख्या-1496 और 1532 के अंतर्गत प्राप्त सुझावों और आपत्तियों का निस्तारण करते हुए आरक्षण और आवंटन का निर्धारण किया। इससे पहले जारी प्रारंभिक सूची पर जनता से आपत्तियां मांगी गई थीं।

महत्वपूर्ण बदलाव और पारदर्शिता
उत्तराखंड सरकार का यह कदम आरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवैधानिक प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करता है। यह सूची निकाय चुनावों में विभिन्न वर्गों की समान भागीदारी को बढ़ावा देगी।

फाइनल आरक्षण सूची जारी होने के बाद निकाय चुनाव की तैयारी अब तेजी से शुरू हो सकेगी। यह निर्णय सामाजिक संतुलन और समावेशिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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