कांग्रेस से 45 साल का जुड़ाव
राजीव महर्षि ने 1979 में कांग्रेस के छात्र संगठन से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में जब पार्टी संघर्ष के दौर में थी, तब उन्होंने कांग्रेस की सक्रिय सदस्यता ली। उत्तराखंड के गठन से पहले और बाद के मुश्किल समय में भी उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी।
संघर्ष के साथी, पर सत्ता से वंचित
अपने सार्वजनिक जीवन में महर्षि ने कई बार संघर्ष किया। उन्होंने प्रदर्शन किए, जेल गए, और पार्टी के लिए हर मोर्चे पर डटे रहे। लेकिन जब कांग्रेस सत्ता में आई, तो उन्हें कभी कोई पद नहीं मिला। आज जब वे देहरादून मेयर के लिए कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं, तो इसे वह अपने हक के रूप में देख रहे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर
महर्षि फिलहाल उत्तराखंड कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर हैं। 2022 में उन्होंने यह पद संभाला। अपनी जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाने वाले महर्षि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में लगातार अपनी पहचान मजबूत करते रहे हैं।
एडवर्टाइजमेंट इंडस्ट्री में पहचान
महर्षि केवल राजनीति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने देहरादून में एडवर्टाइजमेंट एजेंसी “कैटलिस्ट” की स्थापना की, जो बेहद सफल रही। वे देहरादून एडवर्टाइजमेंट एजेंसी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, जिससे उनकी सामाजिक और व्यावसायिक पहचान और मजबूत हुई है।
कार्यकर्ताओं के लिए मिसाल
महर्षि का कहना है कि पार्टी के कठिन समय में भी उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी। जब कई कार्यकर्ता दूसरी पार्टियों में चले गए, वे संघर्ष करते रहे। उनका मानना है कि कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है, जो अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान करती है।
देहरादून की जनता के बीच लोकप्रिय चेहरा
देहरादून के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में राजीव महर्षि एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनकी सादगी, मेहनत, और सामाजिक जुड़ाव ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाया है।
पार्टी के फैसले पर टिकी निगाहें
राजीव महर्षि का मेयर पद का टिकट मांगना न केवल उनके लिए बल्कि कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ताओं के लिए भी प्रेरणा का विषय है। अब यह कांग्रेस पार्टी पर निर्भर करता है कि वह महर्षि के योगदान को कैसे सम्मानित करती है।