
देहरादून: उत्तराखंड में हाल ही में हुई अल्मोड़ा बस हादसे जैसी घटनाओं ने परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया है। हादसे के बाद विभाग के अधिकारियों को निलंबित भी किया गया, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि विभाग कर्मियों की भारी कमी से जूझ रहा है। फील्ड में काम करने वाले परिवहन सिपाहियों और चालकों की कमी के कारण कार्यक्षमता पर असर पड़ा है।
परिवहन विभाग में सिपाही और चालक के पद खाली
उत्तराखंड में परिवहन विभाग के पास सिपाहियों के 215 स्वीकृत पदों में से केवल 65 पदों पर ही तैनाती हो पाई है। बाकी 110 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया तो चल रही थी, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से तैनाती नहीं हो पाई। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही तकनीकी खामियों को दूर कर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वहीं, चालकों के 90 पदों में से केवल 28 पदों पर ही चालक तैनात हैं, और शेष पदों को आउटसोर्स किया गया है।
कम कर्मचारियों के कारण कार्यप्रणाली प्रभावित
परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली पर असर पड़ने के कारण वाहनों की निगरानी और इंफोर्समेंट की प्रक्रिया कमजोर हो गई है। विभाग में 44 चालकों की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में 37 चालक ही तैनात हैं। इसके बावजूद, विभाग सड़क हादसों और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन कर्मचारियों की कमी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।