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रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को किसानों का समर्थन, लेकिन उठीं चुनौतियां

Promotion of chemical free farming: Farmers support National Natural Farming Mission, but challenges arise

नई दिल्ली: सरकार द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) का उद्देश्य देश में रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देना है। इस पहल का किसानों ने स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने इस योजना को लागू करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया है।


‘पशुपालन के बिना प्राकृतिक खेती संभव नहीं’: किसानों की प्रमुख चिंता

किसानों ने कहा कि पशुपालन प्राकृतिक खेती का अभिन्न हिस्सा है। किसान धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि मौजूदा समय में पशुपालन घटता जा रहा है, जबकि प्राकृतिक खेती के लिए यह बेहद जरूरी है। उन्होंने रासायनिक खेती के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को अब पूरी तैयारी के साथ किसानों को समर्थन देना चाहिए।


रासायनिक से प्राकृतिक खेती में बदलाव के लिए चाहिए तीन-चार साल का वक्त

उत्तर प्रदेश के बिजनौर के किसान बीरेंद्र सिंह बंट ने बताया कि रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती में परिवर्तन करने में तीन से चार साल का समय लगता है। इस दौरान किसानों को उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि किसान इस संक्रमण काल में टिके रह सकें।


प्राकृतिक खेती में उपज की कमी से किसानों को होगा नुकसान

किसानों ने चिंता जताई कि प्राकृतिक खेती में उपज रासायनिक खेती की तुलना में कम होगी। उत्तर प्रदेश के किसान अम्प्रपाल सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती में 30-40 प्रतिशत तक कम उपज की संभावना है। ऐसी स्थिति में किसानों के आर्थिक अस्तित्व के लिए सरकारी सहायता अत्यंत आवश्यक होगी।


महंगा साबित हो सकता है प्राकृतिक खेती का मॉडल: गुरमनीत मंगत

पंजाब के किसान गुरमनीत मंगत ने प्राकृतिक खेती के खर्चीले पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती में अधिक जनशक्ति, श्रम और पशुधन की आवश्यकता होती है। साथ ही, फसलों में बीमारी आने पर कीटनाशकों का सहारा लेना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई किसान पशुपालन नहीं कर रहे हैं, जिससे यह मॉडल व्यावहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।


सरकार ने 2,481 करोड़ रुपये का बजट किया स्वीकृत, किसानों के समर्थन का वादा

केंद्र सरकार ने 2,481 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को लागू करने की योजना बनाई है। इस मिशन के तहत स्थानीय पशुधन और विविध फसल प्रणाली को अपनाते हुए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार ने किसानों को मिशन मोड में सहयोग का आश्वासन दिया है।


किसानों की मांग: वित्तीय सहायता और संसाधनों की बेहतर उपलब्धता

किसानों का कहना है कि सरकार को इस योजना को प्रभावी बनाने के लिए वित्तीय सहायता, जागरूकता कार्यक्रम, और संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देना चाहिए। मिशन के सफल कार्यान्वयन के लिए किसानों को आवश्यक उपकरण, पशुपालन के लिए समर्थन, और संक्रमण काल में आर्थिक मदद की दरकार है।


राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन: रसायन मुक्त खेती की ओर एक बड़ा कदम

सरकार द्वारा घोषित यह योजना भारतीय कृषि में बड़ा बदलाव ला सकती है। हालांकि, किसानों के लिए यह सुनिश्चित करना कि वे इस बदलाव के दौरान टिक सकें, सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। किसानों ने उम्मीद जताई है कि सरकार उनके सामने आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस मिशन को सफल बनाएगी।

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