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Srinagar: वैकुंठ चतुर्दशी पर कमलेश्वर महादेव मंदिर में 177 दंपतियों ने किया खड़ा दीया अनुष्ठान, पोलैंड से भी पहुंचे श्रद्धालु

On Vaikunth Chaturdashi, 177 couples performed the Khada Diya ritual at the Kamleshwar Mahadev temple, devotees also arrived from Poland

श्रीनगर: वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में 177 दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान में भाग लिया। इस विशेष अनुष्ठान में पोलैंड से आए विदेशी दंपति क्लाऊडिया और स्टेफन ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। गुरुवार को गोधूलि बेला से शुरू हुआ यह अनुष्ठान शुक्रवार सुबह तक चला।

177 दंपतियों ने लिया भाग, पंजीकरण में 216 दंपति शामिल

 

इस बार खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए 216 से अधिक दंपतियों ने पंजीकरण करवाया था, जिनमें से 177 दंपतियों ने भाग लिया। पिछले वर्ष 2023 में 200 से अधिक दंपति इस अनुष्ठान में शामिल हुए थे। अनुष्ठान की शुरुआत गुरुवार, 14 नवंबर को शाम 6 बजे कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी द्वारा दीपक जलाकर की गई।

 On Vaikunth Chaturdashi, 177 couples performed the Khada Diya ritual at the Kamleshwar Mahadev temple, devotees also arrived from Poland
On Vaikunth Chaturdashi, 177 couples performed the Khada Diya ritual at the Kamleshwar Mahadev temple, devotees also arrived from Poland

अनुष्ठान की विधि: संतान की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा

 

इस अनुष्ठान के दौरान महिलाओं ने अपने कमर में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा और चावल की पोटली बांधी। महंत ने सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखकर पूजा अर्चना कराई। दंपतियों ने रातभर जलता दीया लेकर भगवान शिव की आराधना की। शुक्रवार की सुबह स्नान के बाद महंत ने दंपतियों को आशीर्वाद दिया और पूजा संपन्न करवाई। मान्यता है कि रातभर हाथों में दीया लेकर खड़ा होने से संतान की प्राप्ति होती है।

श्रद्धालुओं की भीड़ और रुई की 365 बातियों की परंपरा

 

अनुष्ठान में शामिल होने के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पुणे, आंध्र प्रदेश और विदेश से भी दंपति पहुंचे। देर शाम को कमलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने और बाती चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर लोग भगवान शिव को रुई की 365 बातियां अर्पित करने की परंपरा निभाते हैं।

पौराणिक मान्यता: शिव और विष्णु की कथा

 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जब देवता दानवों से पराजित हो गए थे, तब वे भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने यहां भगवान शिव की तपस्या की और शिव सहस्रनाम का जाप करते हुए शिवलिंग पर कमल अर्पित किए। इस पूजा को एक निसंतान ऋषि दंपती ने देखा, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दिया। तब से यहां संतान की मनोकामना लेकर दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

कमलेश्वर महादेव मंदिर में इस अनुष्ठान का आयोजन हर साल बड़े धूमधाम से किया जाता है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास और भी मजबूत होता है।

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