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Uttarakhand: आईएएस अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम और बॉबी पंवार के बीच विवाद, बेरोजगार संघ अध्यक्ष ने फेसबुक लाइव में दी सफाई

Dispute between IAS officer Meenakshi Sundaram and Bobby Panwar, unemployed union president gave clarification in Facebook Live.

देहरादून: उत्तराखंड में बुधवार को सचिवालय में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम और बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया। आरोप है कि पंवार ने ऊर्जा निगम के एक टेंडर के संबंध में मीनाक्षी सुंदरम से मुलाकात की और बातचीत के दौरान न केवल अभद्रता की, बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद, मीनाक्षी सुंदरम के स्टाफ ने पंवार और उनके दो साथियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

यह विवाद तब और गहरा गया, जब बॉबी पंवार ने एक फेसबुक लाइव वीडियो के जरिए अपनी सफाई दी। उन्होंने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि उनका सिर्फ एक उद्देश्य था—उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) के एमडी अनिल यादव के भ्रष्टाचार के मामलों पर सवाल उठाना और उनके द्वारा दिए गए सेवा विस्तार के आदेशों की जानकारी मांगना।

बॉबी पंवार का पक्ष:

 

बॉबी पंवार ने बताया कि 6 नवंबर को वह सचिवालय में मीनाक्षी सुंदरम से मिलने पहुंचे थे, जहां उन्होंने एक महीने पहले UPCL के एमडी अनिल यादव के खिलाफ की गई भ्रष्टाचार की शिकायत के संदर्भ में मुलाकात की थी। पंवार का कहना था कि उन्होंने संबंधित अधिकारी से पूछा कि अनिल यादव के खिलाफ इतनी गंभीर शिकायतें होने के बावजूद उन्हें सेवा विस्तार क्यों दिया गया। पंवार ने आरोप लगाया कि उन्हें इस सवाल पर सचिव मीनाक्षी सुंदरम से “गलत शब्दावली” में जवाब मिला।

पंवार ने कहा कि जब उन्होंने अनिल यादव के सेवा विस्तार के आदेश की कॉपी मांगी, तो मीनाक्षी सुंदरम ने जवाब में कहा, “हम एक करोड़ 20 लाख लोगों को सेवा विस्तार नहीं दे सकते, क्या आपको हर किसी का सेवा विस्तार देने का आदेश चाहिए?” इस दौरान पंवार का कहना है कि मीनाक्षी सुंदरम ने न केवल अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया, बल्कि उनसे धक्का-मुक्की भी की।

पंवार ने आरोपों को झूठा बताया:

 

उनका कहना था, “मैंने केवल और केवल भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सवाल उठाया था। अगर मैं गलत हूं तो पुलिस जांच करे, कैमरे में जो कुछ भी हुआ होगा वह सामने आ जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वह केवल सरकार से जवाब चाहते थे कि भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त अधिकारियों को सेवा विस्तार क्यों दिया गया, जबकि इस संबंध में उनके पास ठोस प्रमाण हैं।

मामले में पुलिस जांच की मांग:

 

बॉबी पंवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पुलिस जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा, “सच तो यह है कि मैंने सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ सवाल उठाए, लेकिन अब मुझ पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच के दौरान सचिवालय में लगे कैमरों की फुटेज देखी जानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

सवाल उठाए गए – सेवा विस्तार और भ्रष्टाचार:

 

पंवार का आरोप है कि राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे UPCL के एमडी अनिल यादव को सेवा विस्तार देने का फैसला लिया, जबकि उन पर कई गंभीर आरोप हैं। यह मामला केवल एक टेंडर से जुड़ा नहीं था, बल्कि एक लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सवाल उठाने का था। पंवार का कहना है कि जब तक सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती, वह इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।

राजनीतिक प्रभाव और संभावित परिणाम:

 

यह विवाद अब केवल एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि राजनीतिक रूप से भी गर्मा गया है। बॉबी पंवार पहले भी बेरोजगारों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार अपने भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को बचा रही है, जिससे प्रदेश में रोजगार की समस्याओं को हल करने में रुकावट आ रही है।

यह मामला आगामी दिनों में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना रहेगा, खासकर उन अधिकारियों की भूमिका के संदर्भ में जो इस विवाद से जुड़े हुए हैं। वहीं, इस घटना के बाद सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी तेज हो सकती है।

क्या होगा आगे?

 

इस विवाद के बाद, अब सबकी नजर पुलिस जांच पर है। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में एक निष्पक्ष जांच जरूरी है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। साथ ही, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का असर उत्तराखंड सरकार की छवि और कार्यप्रणाली पर पड़ता है या नहीं।

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