
नेपाल में भारी बारिश, विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन ने देश को त्रस्त कर दिया है, जिससे मरने वालों की संख्या 170 तक पहुँच गई है। राहत-बचाव कार्य पूरे देश में तेजी से जारी हैं, लेकिन कई क्षेत्रों में भयावह स्थिति बनी हुई है।
बाढ़ और भूस्खलन का भयावह मंजर
भारी बारिश के कारण कई इलाकों में बाढ़ आ गई है, जिससे सड़कों पर जलभराव हो गया है। भूस्खलन ने विभिन्न स्थानों पर सड़कों को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है, जिससे मलबे का ढेर लग गया है। त्रिभुवन राजमार्ग पर एक 6.8 किलोमीटर लंबा सड़क खंड भूस्खलन के कारण बंद हो गया है, जिसके चलते हजारों वाहन राजमार्ग पर फंसे हुए हैं।
राहत-बचाव अभियान में तेजी
राहत और बचाव कार्यों में नेपाल सेना, सशस्त्र पुलिस बल और नेपाल पुलिस एकजुट होकर कार्य कर रही हैं। मलबे में दबे शवों को निकालने का कार्य जारी है। विभिन्न अस्पतालों में घायलों की भारी भीड़ है, जबकि शवों का पोस्टमार्टम के लिए राजधानी काठमांडू भेजा जा रहा है।
शनिवार शाम को बारिश कम होने के बाद, बचावकर्मियों ने एलयू 1 केएचए 4578 रजिस्ट्रेशन नंबर वाले एक वाहन से 14 शव बरामद किए। यह वाहन बुटवाल से काठमांडू की ओर जा रहा था। रविवार को दो अतिरिक्त वाहनों से आपदा स्थल से 21 और शव निकाले गए, जिनमें चितवन से रवाना हुई एक मिनी बस से 16 शव और गोरखा जिले से रवाना हुई एक बस से 5 शव शामिल हैं।
प्रभाव और अनुमान
शनिवार सुबह से नेपाल के प्रमुख राजमार्गों पर वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है। इस साल नेपाल में औसत से अधिक बारिश होने की संभावना है, जिसके कारण 1.8 मिलियन लोग प्रभावित हो चुके हैं। राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन प्राधिकरण (NDRRMA) ने अनुमान लगाया है कि मानसून से जुड़ी आपदाओं के कारण 412,000 घरों को नुकसान पहुंचा है।
नेपाल की धरती, जो दुनिया की 10 सबसे ऊंची चोटियों में से नौ का घर है, अब संकट के इस दौर से गुजर रही है। राहत-बचाव कर्मी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं, ताकि प्रभावित लोगों की सहायता की जा सके। इस साल मानसून का प्रभाव अक्टूबर तक जारी रहने की संभावना है।