2013 मुजफ्फरनगर दंगे का मुकदमा दर्ज कराने वाला गवाही से मुकरा, तीन आरोपी हुए बरी
तीन नामजद आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया
मुजफ्फरनगर/ उत्तर प्रदेश :जफ्फरनगर दंगे का मुकदमा दर्ज कराने वाला गवाही से मुकरा, तीन आरोपी हुए बरी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर कोर्ट ने साल 2013 के सांप्रदायिक दंगे में लूटपाट और आगजनी के मामले में नामजद तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया। इस मामले में वादी मुकदमा सहित सभी पांच गवाह पक्षद्रोही हो गए थे।बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता जुल्करण सिंह और चन्द्रवीर सिंह ने बताया कि सितंबर 2013 में जनपद में सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। आठ सितंबर 2013 को शामली जिले के गांव लिसाढ़ में हंगामा करते हुए कुछ लोगों ने एक घर पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद पीड़ितों ने गांव से पलायन कर कैराना राहत शिविर में शरण ली थी। इस मामले में लिसाढ़ निवासी जिशान ने 19 सितंबर 2013 को कैराना थाने में तहरीर दी थी। 22 सितंबर को थाना फुगाना में मुकदमा दर्ज किया गया था।
मुजफ्फरनगर में 2013 के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगे के एक मामले में पॉक्सो एक्ट कोर्ट-2 ने फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया। थाना फुगाना क्षेत्र के गांव लिसाढ़ में 2013 में दंगाइयों ने घर पर हमला बोलते हुए उसमें आग लगा दी थी। आरोप था कि रात में सांप्रदायिक नारे लगाते हुए आक्रोशित भीड़ में शामिल अंकित कश्यप, नीटल उर्फ प्रमोद और संदीप ने उसके घर पर हमला बोलकर लूटपाट की थी। जिसके बाद उसके घर में आग लगा दी गई थी। लाखों रुपये के सामान का नुकसान हुआ था।एसआईटी के इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह ने मामले की विवेचना कर आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट जमा कर दी थी। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता जुल्करण सिंह और चन्द्रवीर सिंह ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई पॉक्सो एक्ट कोर्ट-2 में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्ष की सुनवाई करने के बाद तीनों आरोपियों को साक्ष्य के अभाव बरी कर दिया।
बचाव पक्ष ने मुकदमे के दौरान कोर्ट में पांच गवाह पेश किए थे। वादी जीशान कोर्ट में अपने गवाह से मुकर गया था। उसके अलावा वादी के पक्ष में शुरू में बयान देने वाले लोगों ने भी घटना से इनकार कर दिया था।