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उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में 19 पीजी डॉक्टरों की तैनाती, मरीजों को मिलेगा लाभ

19 PG doctors deployed in medical colleges of Uttarakhand, patients will get benefit

श्रीनगर (उत्तराखंड):

उत्तराखंड राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों से पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) पास आउट करने वाले 19 विशेषज्ञ चिकित्सकों को उनके बॉन्ड के अनुसार प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में तैनाती दी गई है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना ने यह जानकारी दी और बताया कि यह तैनाती श्रीनगर, देहरादून, अल्मोड़ा और हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेजों में की गई है।

डॉ. सयाना ने कहा कि इस तैनाती से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा सेवाओं में सुधार होगा और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। खासकर, चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं मिल सकेंगी।


पीजी पासआउट डॉक्टरों को तैनाती

डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि श्रीनगर, हल्द्वानी और देहरादून मेडिकल कॉलेजों से पीजी बॉन्डधारी 19 डॉक्टरों को तैनाती दी गई है। तैनात किए गए डॉक्टरों में एनेस्थीसिया, ईएनटी, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी, पीडिया, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, ऑब्स एंड गायनी, और ऑपथैल्मोलॉजी जैसे विषयों के विशेषज्ञ शामिल हैं।

इसमें से सबसे अधिक आठ डॉक्टरों को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में तैनाती मिली है। इसके अलावा, देहरादून मेडिकल कॉलेज को चार, अल्मोड़ा को पांच और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज को दो डॉक्टरों की तैनाती दी गई है।


चिकित्सा सेवा में वृद्धि और यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण योगदान

डॉ. सयाना ने कहा कि इन पीजी डॉक्टरों की तैनाती से मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि होगी और मरीजों को अधिक सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही, चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों को चिकित्सा सहायता देने में इन चिकित्सकों की अहम भूमिका होगी।

डॉ. सयाना ने सभी तैनात डॉक्टरों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी सेवा से अस्पतालों की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में हर साल पीजी डॉक्टरों की तैनाती होगी, जिससे मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी पूरी होगी।


चिकित्सा शिक्षा का विशेष प्रयास

डॉ. सयाना ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि हर विषय में पीजी कोर्स संचालित किए जाएं ताकि प्रदेश को हर साल आवश्यक चिकित्सक मिल सकें। इससे राज्य के अस्पतालों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पूरी करने में मदद मिलेगी।


 

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