देहरादून में 12वां सस्टेनेबल माउंटेन डेवलपमेंट समिट संपन्न
12th Sustainable Mountain Development Summit concludes in Dehradun

देहरादून: दून विश्वविद्यालय में इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (आईएमआई) द्वारा आयोजित 12वें सस्टेनेबल माउंटेन डेवलपमेंट समिट (SMDS-XII) के दूसरे दिन हिमालयी राज्यों के जनप्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने पर्वतीय विकास की चुनौतियों और उनके समाधान पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन में लगभग 250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, विद्यार्थी, सामाजिक कार्यकर्ता और किसान शामिल थे।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया हिमालय का वास्तविक विकास
मुख्य अतिथि सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालय का विकास केवल सड़कों और इमारतों तक सीमित नहीं हो सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, स्थानीय आजीविका का सशक्तिकरण और समुदाय-आधारित भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। उनका मानना है कि हिमालयी राज्यों के लिए अलग से प्रकृति-सम्मत नीतियाँ बनाना समय की मांग है।
हिमालय की जैवविविधता और संस्कृति की सुरक्षा जरूरी
सांसद त्रिवेन्द्र ने हिमालय को सिर्फ भौगोलिक इकाई नहीं बल्कि देश की जीवनरेखा बताते हुए कहा कि यहाँ की नदियाँ, जंगल, जैवविविधता और संस्कृति पूरे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने सम्मेलन को नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और आमजन को जोड़ने वाला मंच बताया और सुझाव दिया कि स्थानीय परंपरागत ज्ञान को विज्ञान के साथ मिलाकर विकास की रूपरेखा तैयार की जाए।
स्थानीय भागीदारी और विज्ञानसम्मत निर्माण पर बल
विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण ने हिमालय के लिए नीतियों में स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर जोर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अरुणाचल प्रदेश श्री नबाम टुकी ने विज्ञानसम्मत निर्माण पर ध्यान देने की बात कही। वहीं, विधायक विकासनगर श्री मुन्ना सिंह चौहान ने लोक विज्ञान आधारित बसावट के मॉडल अपनाने की आवश्यकता बताई और विधायक टिहरी श्री किशोर उपाध्याय ने नीति-निर्माण में जनता की भागीदारी की अहमियत पर प्रकाश डाला।
विशेषज्ञों ने साझा किए जलवायु और अनुकूलन सुझाव
डॉ. दुर्गेश पंत (महानिदेशक, यूकॉस्ट) और डॉ. रवि चोपड़ा (पर्यावरणविद्) ने जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों पर अपने शोध प्रस्तुत किए। इसके अलावा, श्री अनूप नौटियाल ने हिमालयी राज्यों के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा साझा किया। सम्मेलन में स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जो प्रतिभागियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही।
सम्मेलन से विकसित भारत 2047 की दिशा में हिमालय को नई ऊर्जा
सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने विश्वास जताया कि सम्मेलन में साझा किए गए सुझाव हिमालयी राज्यों की नीति-निर्माण प्रक्रिया को नया दृष्टिकोण देंगे। उन्होंने कहा कि इससे न केवल हिमालय की संरक्षण और विकास की दिशा मजबूत होगी, बल्कि “विकसित भारत 2047” के सपने को साकार करने में भी हिमालय नई ऊर्जा प्राप्त करेगा।