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हरियाणा में 90 सीटों पर 1031 उम्मीदवार की उम्मीद ईवीएम में कैद “8 तारीख को खुलेगा किस्मत का पिटारा”

मतगणना की तरफ देश और प्रदेश की नजरें लगी रहेंगी

हरियाणा: विधानसभा चुनाव में शनिवार को मतदान के दौरान राज्य के कई जिलों और विस सीटों पर कांग्रेस-भाजपा के समर्थकों में झड़प व धक्का मुक्की की खबरें मिली। जबकि एनसीआर नूंह में बसपा और कांग्रेस में धक्का मुक्की हुई और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई। राज्य के सीईओ पंकज अग्रवाल और राज्य की सहायक निर्वाचन मुख्य अधिकारी हेमा शर्मा व स्टेट नोडल अफसर मनीष लोहान ने बताया कि राज्य की सभी 90 सीटों पर एक चरण में मतदान हुआ है। इन सीटों पर 1031 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला वोटरों ने लिख दिया है, जिसका 8 अक्टूबर को परिणामों के साथ खुलासा होगा।आखिरकार सूबे के दो करोड़ से ज्यादा हरियाणा वासियों ने सियासी दिग्गजों की किस्मत का फैसला शनिवार की सुबह 7 बजे से शाम के छह बजे तक लिख दिया।20629 मतदान केंद्र बनाए

केंद्र की ओर से भी 225 कंपनियां लगाई

राज्य में मतदान के लिए कुल 20629 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इन सभी पर कड़ी सुरक्षा का पहरा सीआईएसएफ और हरियाणा पुलिस का रहा। हरियाणा की कुल 90 सीटों पर 1031 उम्मीदवार मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। केंद्र की ओर से भी 225 कंपनियां लगाई गई हैं। इसके अलावा हरियाणा पुलिस और होमगार्ड्स की संख्या लगभग 35 हजार बताई, जिसमें 930 पुरुष और 101 महिला उम्मीदवार हैं। प्रत्याशियों के जीत-हार की किस्मत का फैसला 2.03 करोड़ से अधिक मतदाताओं को लिखना था।

अब देखना यह होगा कि देर रात तक कितने फीसदी मतदान होता है और आने वाली सत्ता में किस किस उम्मीदवार को लोगों ने पसंद किया है। फैसला ईवीएम में कैद हो गया, इसका खुलासा भी 8 को मतगणना वाले दिन होगा। कई स्थानों पर शाम को सात बजे और इसके बाद भी वोटर लाइन में खड़े थे।

उम्मीदवार की संख्या और पार्टी ?

90 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने 89 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। एक सीट पर उसकी सहयोगी सीपीआईएम चुनाव लड़ रही है। बीजेपी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। भाजपा की हैट्रिक का सपना कहां पर टिका

भाजपा का सत्ता की हैट्रिक लगाने का दारोमदार जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा के इलाके की सीटों पर टिका है। भाजपा 2014 और 2019 में इन्हीं दोनों इलाकों के बदौलत सत्ता नाम करने में कामयाब रही है। जीटी रोड बेल्ट इलाके में पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत और कैथल जिले आते हैं। इलाके में कुल 27 विधानसभा सीटें हैं। 2019 में इस इलाके की 27 में से भाजपा ने 14, कांग्रेस 9, जेजेपी 2 और निर्दलीय ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पहले 2014 में यहां की 27 में से भाजपा ने 22 सीटें जीती थी। कांग्रेस-इनेलो को एक-एक सीट और तीन निर्दलीय सीट जीते थे। सिरसा सीट से पार्टी के उम्मीदवार ने नामांकन वापस ले लिया था और गोपाल कांडा को समर्थन दिया था।

जजपा और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन 

जिसके तहत 66 सीट पर जेजेपी के उम्मीदवार हैं तो 12 सीट पर आजाद समाज के कैंडिडेट चुनाव लड़ रहे हैं। चंद्रशेखर रावण पहली बार हरियाणा की धरती पर भाग्य आजमाने उतरे हैं। बसपा और इनेलो मिलकर चुनाव लड़ रही है। 51 सीट पर इनेलो उम्मीदवार और 35 सीट पर बसपा प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने 90 में से 88 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं।2019 के सियासी समीकरण

2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 40, कांग्रेस ने 31, जजपा ने 10 और निर्दलीय 7 विधायक चुने थे। हरियाणा जनहित पार्टी और इनेलो के एक-एक विधायक जीतने में कामयाब रहे थे।

25 सीटों पर चुनावी संघर्ष रोचक

हरियाणा की 90 में से 32 सीटों पर 2019 में मुकाबला काफी रोचक बना हुआ था। अतीत पर नजर डालें, तो 32 सीटों पर पिछले चुनाव में जीत का अंतर दस हजार से कम वोटों का था। जबकि 25 सीट पर हार जीत का अंतर पांच हजार से भी कम था। तीन सीटों पर जीत-हार का मार्जिन एक हजार वोटों से भी कम का था। सात सीटों पर जीत-हार का फैसला एक हजार से दो हजार वोट के बीच रहा। 15 सीटों पर 2 हजार से 5 हजार के बीच का मार्जिन रहा। बहुत ही नजदीक वाली फाइट 25 सीटों में से 12 सीटें कांग्रेस और 9 सीटें भाजपा के उम्मीदवारों ने बाजी मारी थी। 4 सीटें अन्य के खाते में गई थी।  कांग्रेस ने जीटी पोड बेल्ट और जाटलैंड इलाके में जीत दर्ज की थी और भाजपा ने दक्षिण हरियाणा व पश्चिम हरियाणा की बदौलत दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाबी हासिल की थी।

सियासी मिजाज अलग-अलग

इस बार हर इलाके का मिजाज अलग अलग नजर आ रहा है। विभिन्न इलाकों दक्षिण, पश्चिम, जीटी रोड बेल्ट अलग-अलग नजर आ रहा है। जाटलैंड और पश्चिमी हरियाणा बेल्ट में कांग्रेस मजबूत मानी जा रही है। इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा वाले इलाके पर भाजपा का दारोमदार टिका हुआ है। कांग्रेस अगर भाजपा के दुर्ग में सेंधमारी करने में कामयाब रहती है तो हरियाणा का सियासी ही नहीं बल्कि सत्ता का समीकरण गड़बड़ा सकता है।

लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। दुष्यंत चौटाला की जजपा ने भाजपा को 10 विधायकों का समर्थन देकर हरियाणा में गठबंधन की सरकार साढ़े चार साल तक चलाई। कुल मिलाकर दो दिनों के बाद में मतगणना की तरफ देश और प्रदेश की नजरें लगी रहेंगी। राजनीतिक गलियारों के पंडित चुनावों को लेकर एक बात पर तो एकमत हैं कि इस बार अधिकांश सीटों पर सीधा मुकाबला राष्ट्रीय पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के बीच में हुआ है।

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