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“लोकसभा में संविधान पर बहस,राजनाथ की आलोचना,अखिलेश का हमला,प्रियंका का पदार्पण”

"यह संविधान हमारा कवच है, हमारी सुरक्षा है; यह हमें समय-समय पर शक्ति प्रदान करता है।"

नई दिल्ली: (एजेंसी) शुक्रवार को लोकसभा में संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर दो दिवसीय चर्चा शुरू हुई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बहस की शुरुआत की और संस्थागत स्वायत्तता और संवैधानिक सिद्धांतों को कथित रूप से कमजोर करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की।दौरान वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद के निचले सदन में अपना पहला भाषण दिया, जिसमें उन्होंने संविधान को ‘सुरक्षा कवच’ बताया। उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि पिछले एक दशक में इस सुरक्षात्मक ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की गई है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लोकसभा में संवैधानिक बहस का जवाब देंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी राज्यसभा में समानांतर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं।लोकसभा की कार्यवाही में राजनाथ सिंह, प्रियंका गांधी वाड्रा और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी भाषण दिया। यहां नेताओं के भाषणों के कुछ प्रमुख उद्धरण दिए गए हैं।

संविधान निर्माण के काम को हाईजैक करने की कोशिश की गई: राजनाथ सिंह

” कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “संविधान निर्माण के काम को हमेशा एक विशेष पार्टी द्वारा हाईजैक करने का प्रयास किया जाता रहा है। हमारा संविधान किसी एक पार्टी की देन नहीं है। इसे भारत के लोगों ने बनाया है, जो इस विविध राष्ट्र के मूल्यों और आकांक्षाओं को मूर्त रूप देता है।” उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने संविधान की मूल भावना को नष्ट कर दिया और संविधान की रक्षा जैसे शब्द उन्हें शोभा नहीं देते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा संविधान के सामने झुकती है और उसने कभी भी संस्थाओं की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ नहीं किया है।’’ “जब भी कांग्रेस को संविधान और सत्ता के बीच चयन करने का अवसर मिला, उसने हमेशा सत्ता का पक्ष लिया।” “कई उत्तर-औपनिवेशिक लोकतंत्र और उनके संविधान लंबे समय तक नहीं टिके। लेकिन भारतीय संविधान, तमाम चुनौतियों के बावजूद, अपनी मूल भावना को खोए बिना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।” “हम सभी संविधान के संरक्षक और व्याख्याता के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को स्वीकार करते हैं। आज संविधान की रक्षा की बात हो रही है। यह हम सभी का कर्तव्य है। लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि संविधान का सम्मान किसने किया है और किसने इसका अनादर किया है।

प्रधानमंत्री मोदी को समझ नहीं आया कि संविधान संघ की नियम पुस्तिका नहीं है: प्रियंका गांधी वाड्रा

“करोड़ों भारतीयों के संघर्ष में, कठिन से कठिन परिस्थितियों से जूझने की उनकी ताकत में, और देश से न्याय की उनकी उम्मीद में, हमारे संविधान की लौ जल रही है। हमारा संविधान सुरक्षा कवच है। ऐसा सुरक्षा कवच जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है – ये न्याय का कवच है, एकता का कवच है, अभिव्यक्ति के अधिकार का कवच है। दुख की बात है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस कवच को तोड़ने की पूरी कोशिश की है। संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा करता है। ये वादे सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है। लैटरल एंट्री और निजीकरण के ज़रिए ये सरकार आरक्षण को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है।

“ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी को समझ नहीं आया कि यह ‘भारत का संविधान’ है, ‘संघ का विधान’ नहीं।” उन्होंने कहा, “यदि लोकसभा चुनाव के नतीजे ऐसे नहीं आते, जैसे आए हैं, तो सरकार संविधान बदलने का काम शुरू कर देती।” “नेहरू का नाम किताबों और भाषणों से मिटाया जा सकता है, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को नहीं।

हमारा कवच और सुरक्षा है: अखिलेश यादव

“यह संविधान हमारा कवच है, हमारी सुरक्षा है; यह हमें समय-समय पर शक्ति प्रदान करता है।” “संविधान उत्पीड़ित, उपेक्षित, दमित और वंचितों के अधिकारों का सच्चा संरक्षक है।” “यह संविधान एक बड़ा सहारा है। हमारे जैसे लोगों और देश के कमज़ोर लोगों के लिए, ख़ासकर पीडीए के लिए, संविधान को बचाना जीवन-मरण का सवाल है।

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