यमुना नदी पर बनी झील से हाहाकार: प्रभावितों का प्रशासन के खिलाफ पानी में उतरकर प्रदर्शन
Outcry from the lake formed on the Yamuna river, The affected people protested against the administration by getting into the water

उत्तरकाशी: स्यानाचट्टी में यमुना नदी पर बनी झील से प्रभावित लोग अब खुलकर प्रशासन के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं। गुरुवार को ग्रामीणों ने नदी के जमा पानी में उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया और शासन-प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यदि समय रहते झील को साफ कर नदी का चैनलाइजेशन कर दिया जाता, तो आज यह भयावह स्थिति पैदा नहीं होती।
झील को हल्के में लेने का आरोप
स्थानीय लोगों ने बताया कि 28 जून की रात को भी यहां अस्थायी झील बनी थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। समय रहते समाधान नहीं निकाले जाने के कारण आज हालत विकराल हो गए हैं। गुस्साए लोगों ने यमुनोत्री हाईवे पर बने पुल के पास जमा होकर पानी में उतरकर विरोध दर्ज कराया। अचानक हुए इस प्रदर्शन से मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।
12 गांवों का संपर्क कटा, हजारों ग्रामीण प्रभावित
झील बनने से यमुनोत्री धाम समेत गीठ पट्टी के 12 गांवों का तहसील मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। करीब 8,000 ग्रामीण अब बाहरी दुनिया से कट गए हैं। झील के कारण स्यानाचट्टी का मोटर पुल और सड़क का हिस्सा जलमग्न हो गया है। पुल पिछले 24 घंटे से करीब 5 फीट पानी में डूबा हुआ है, जिससे राहत-बचाव कार्य भी प्रभावित हुए। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिंचाई विभाग और लोनिवि की टीमें मौके पर डटी हैं और झील का जलस्तर सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं।
स्कूल बंद, बच्चों की पढ़ाई पर असर
झील बनने से स्यानाचट्टी में स्कूलों की पढ़ाई पर भी असर पड़ा है। स्यानाचट्टी स्कूल में पढ़ने वाले 50 बच्चों को फिलहाल स्कूल आने से मना किया गया है। वहीं, गंगनानी स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की 150 छात्राओं को सुरक्षा के लिहाज से होटल में शिफ्ट किया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी बी.एस. चौहान ने बताया कि जलस्तर सामान्य होने के बाद स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की जाएगी।
होटल, ढाबे और कारोबार प्रभावित
झील के चलते क्षेत्र में 3 सरकारी विभागों के दफ्तर, 32 होटल, आवासीय भवन और ढाबे डूबान की चपेट में आ गए हैं। यहां के लगभग 60 परिवारों की आजीविका प्रभावित हो गई है। यह इलाका यमुनोत्री धाम यात्रा का अहम पड़ाव है, जहां से आगे रानाचट्टी, जानकीचट्टी और खरसाली होते हुए श्रद्धालु पैदल यात्रा कर धाम तक पहुंचते हैं।
ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने त्वरित और स्थायी समाधान नहीं निकाला तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।