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“देश में महिलाओं की स्थिति हरदम अग्रणी रही है, ÷ RSS सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल”

‘विजन फॉर विकसित भारत-(विविभा) 2024’ सम्मेलन का आयोजन होगा

देश में महिलाओं की स्थिति हरदम अग्रणी रही है… अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह में बोले RSS के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने 100वें साल में प्रवेश कर चुका है. 27 सितंबर 1925 को नागपुर में विजयादशमी के मौके पर संघ की स्थापना हुई थी. अपने शताब्दी वर्ष में आरएसएस ने भारत की विदुषी और बहादुर महिलाओं को लेकर देशभर में जागरूकता फैलाने का फैसला लिया है. इसी क्रम में गुरुवार को आरएसएस की ओर से अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह का आयोजन हुआ. इसमें अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर व्याख्यान माला रखी गई. इसमें आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत में महिलाओं की स्थिति सदा से अग्रणी रही है.

आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत में महिलाओं की स्थिति सदा से अग्रणी रही है. हमारा देश सातवीं शताब्दी से संकट में आया. दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में भयंकर स्थिति पैदा हो गई. दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो 7 सौ वर्षों तक प्रताड़ित होता रहा हो। सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारा देश सातवीं शताब्दी से संकट में आया. दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में भयंकर स्थिति पैदा हो गई. दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो 7 सौ वर्षों तक प्रताड़ित होता रहा हो. शिवाजी ने हिंदुत्व के लिए जो अलख जगाई थी, वो बढ़ती गई.

महिलाएं तब सुरक्षित ही नहीं थीं

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आज महिलाओं को लेकर एक डिस्कोर्स (विचार) तैयार की है, वो लोग जानते ही नहीं है कि भारत का इतिहास क्या है. पिछले एक हजार साल में महिलाओं की स्थिति खराब हुई क्योंकि महिलाएं सुरक्षित ही नहीं थीं. उधर, आरएसएस से संबद्ध भारतीय शिक्षण मंडल की ओर से गुरुग्राम में ‘विजन फॉर विकसित भारत-(विविभा) 2024’ सम्मेलन का आयोजन होगा.

15 नवंबर को उद्घाटन करेंगे मोहन भागवत

इसका मकसद देश की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक पद्धतियों से जोड़कर युवाओं में शोध संस्कृति को बढ़ावा देना है. तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का संघ प्रमुख मोहन भागवत 15 नवंबर को उद्घाटन करेंगे.

भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सच्चिदानंद जोशी ने कहा, विविभा-2024 के एक भाग के रूप में भारतीय शिक्षा मंडल के कार्यकर्ता 10 लाख से अधिक छात्रों और शोधकर्ताओं, एक लाख से अधिक शिक्षकों और 10 हजार से अधिक शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंचे.

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