मां धारी देवी मंदिर में बोटिंग पर विवाद: श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस, पुजारियों ने जताई आपत्ति
Controversy over boating in Maa Dhari Devi temple: Devotees' faith hurt, priests raised objection

धार्मिक स्थल या पर्यटन केंद्र? मंदिर क्षेत्र में बोटिंग को लेकर बढ़ा आक्रोश
श्रीनगर: विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था और गरिमा पर पर्यटन गतिविधियों का असर दिखने लगा है। मंदिर के सामने अलकनंदा नदी में मोटर बोटिंग को लेकर श्रद्धालु और पुजारी नाराज हैं। उनका कहना है कि इससे मंदिर की पवित्रता प्रभावित हो रही है और यह धार्मिक स्थल अब एक सामान्य पर्यटन केंद्र जैसा प्रतीत होने लगा है।
मंदिर क्षेत्र में बोटिंग पर रोक लगाने की मांग
सिद्धपीठ मां धारी पुजारी न्यास के प्रमुख विवेक पांडे ने प्रशासन को लिखित ज्ञापन भेजकर मंदिर से 500 मीटर के दायरे में मोटर बोटिंग पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि धारी देवी मंदिर सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। दूर-दूर से आने वाले संत, महात्मा और श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं, लेकिन नदी में लगातार हो रही बोटिंग से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
गंगा स्नान में आ रही दिक्कत, नदी जल हो रहा प्रदूषित
न्यास के अनुसार, मंदिर परिसर में स्नान घाट की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में श्रद्धालु गंगा स्नान कर पूजा करना चाहते हैं, लेकिन मोटर बोटिंग की वजह से उन्हें शुद्ध गंगा जल नहीं मिल पा रहा। लगातार नावों की आवाजाही से पानी गंदा हो रहा है, जिससे स्नान करने वाले श्रद्धालु असहज महसूस कर रहे हैं।
बोटिंग से नदी की निर्मलता पर खतरा, तेल और ईंधन का रिसाव बढ़ा
न्यास का कहना है कि बोटिंग की वजह से अलकनंदा नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। नावों के कारण तेल और ईंधन का रिसाव हो रहा है, जिससे नदी की पवित्रता और निर्मलता नष्ट हो रही है। इसके अलावा, मोटर बोटों की तेज आवाज से मंदिर परिसर की शांति भी भंग हो रही है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक स्थान सुझाया
पुजारी न्यास ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि यदि पर्यटन को बढ़ावा देना ही है, तो बोटिंग को मंदिर क्षेत्र से हटाकर कम से कम 500 मीटर दूर गगम दामक क्षेत्र से शुरू किया जाए और इसे श्रीनगर की ओर ले जाया जाए। इससे धार्मिक स्थल की गरिमा बनी रहेगी और पर्यटक भी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकेंगे।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और क्या मां धारी देवी मंदिर क्षेत्र में श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए बोटिंग पर कोई सख्त निर्णय लिया जाता है या नहीं।