“उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी भी चिंता का विषय”
देवभूमि उत्तराखंड के सनातन क्षेत्र में "वक्फ बोर्ड " की 5,000 से अधिक संपत्तियां चिन्हित,
उत्तराखंड: (खबर संवाद सूत्र) देवभूमि उत्तराखंड में जनसांख्यिकी बदल रही है। मुस्लिम आबादी के साथ-साथ वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में भी अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह इस बात का प्रमाण है कि राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी भविष्य में राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं पैदा करने वाली है। ये केवल वक्फ बोर्ड द्वारा दिए गए आंकड़े हैं। इनके अलावा सैकड़ों संपत्तियां ऐसी हैं जो सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनाई गई हैं जिनका वक्फ बोर्ड में उल्लेख नहीं है। इनमें मस्जिद, मदरसे और मकबरे शामिल हैं।
देवभूमि उत्तराखंड के सनातन क्षेत्र में वक्फ बोर्ड की 5,000 से अधिक संपत्तियां चिन्हित की गई हैं। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने राज्य में 5,183 संपत्तियों का ब्योरा केंद्रीय वक्फ बोर्ड को भेज दिया है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि 205 संपत्तियों के मामले स्थानीय न्यायालय में लंबित हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के स्थान…..
रिपोर्टों के अनुसार, वक्फ बोर्ड की संपत्ति सूची में मस्जिदों की तुलना में कब्रिस्तानों की संख्या अधिक है।
पहाड़ी जिलों में चमोली में एक, रुद्रप्रयाग में एक, टिहरी में चार, पौड़ी में दस, उत्तरकाशी में एक, बागेश्वर में तीन, चंपावत में छह, अल्मोड़ा में छह और पिथौरागढ़ में तीन मस्जिद होने की जानकारी सामने आई है। इसके अलावा, मस्जिदों से ज्यादा कब्रिस्तान हैं। नैनीताल जिले में 48 मस्जिदें, ऊधमसिंह नगर में 144, हरिद्वार जिले में 322 और देहरादून जिले में 155 मस्जिदें इस बात को उजागर करती हैं कि वक्फ बोर्ड का राज्य में काफी विस्तार हो चुका है। दूरदराज के पहाड़ी जिलों में भी वक्फ बोर्ड की औकाफ (दान में दी गई) संपत्तियों की जानकारी सामने आ रही है। रिपोर्टों के अनुसार, उत्तराखंड में 2,105 औकाफ हैं, जिनमें से अल्मोड़ा जिले में 46, पिथौरागढ़ जिले में 11 और पौड़ी में 26 संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड का दावा है। सबसे ज्यादा संपत्तियां हरिद्वार में 865, ऊधमसिंह नगर में 499 और देहरादून में 435 हैं। पूरे देवभूमि में 773 जगहों पर कब्रिस्तान बनाए गए हैं, जबकि 704 मस्जिदें वक्फ बोर्ड के अधीन बताई जाती हैं। उत्तराखंड में भी इतनी ही मस्जिदों के वक्फ बोर्ड की सूची से बाहर होने की खबर है। जानकारी सामने आ रही है कि वक्फ बोर्ड में 100 मदरसे हैं, जबकि मदरसा बोर्ड की सूची में 400 से अधिक पंजीकृत मदरसे हैं। राज्य में वक्फ बोर्ड में सूचीबद्ध 201 से अधिक मजारों के बारे में जानकारी मिली है। बताया जाता है कि अब यहां नमाज भी अदा की जाती है। धीरे-धीरे ये मदरसे और फिर मस्जिद का रूप ले चुके हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में पूरे राज्य में 12 स्कूल और इतने ही विश्राम गृह शामिल हैं। सूची में 1,024 मकान और 1711 दुकानें भी शामिल हैं। 70 ईदगाह, 32 इमामबाड़े, 112 कृषि भूमि के भूखंड और 253 अन्य संपत्तियां हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों पर प्रभावशाली और भू-माफिया तत्वों का कब्जा है। ऐसी भी खबरें हैं कि जब 2003 में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की स्थापना हुई थी, तब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या करीब 2078 बताई गई थी इनमें से 450 संपत्तियों की फाइलें अभी तक यूपी ने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को नहीं दी हैं और यह मसला विवाद के रूप में केंद्र सरकार तक पहुंच गया है। माना जा रहा है कि उत्तराखंड में पिछले 20 सालों में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। इससे साबित होता है कि राज्य में मुस्लिम आबादी में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। अभी ये आंकड़े वक्फ बोर्ड में दर्ज हैं।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की 205 संपत्तियों के मामले स्थानीय न्यायालय में लंबित हैं।
दरअसल, बड़ी संख्या में मुस्लिम धार्मिक स्थल, मदरसे हैं जो वक्फ बोर्ड में पंजीकृत नहीं हैं और ये सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा करके बनाए गए हैं। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर भी संशय बना हुआ है कि क्या वाकई ये उनकी संपत्ति हैं या उत्तराखंड सरकार की।
हालांकि उत्तराखंड में वक्फ संपत्तियों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी भी चिंता का विषय है। राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन को लेकर बहस चल रही है और वक्फ संपत्तियों के बढ़ते आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि देवभूमि का इस्लामीकरण करने की साजिश हो रही है।