देहरादून/उत्तराखंड:उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में यहां की जमीनों को माफियाओं से बचाने के लिए सख्त भू कानून लागू करने की मांग की जा रही है जिसके लिए उत्तराखंड में कई संगठनों ने सरकार को जगाने के लिए बार-बार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन भी किया लेकिन आज तक प्रदेश में कोई ऐसा सख्त भू कानून लागू नहीं किया गया जिससे यहां की जमीनों को बचाया जा सके हालांकि एनडी तिवारी सरकार के समय साल 2003 में प्रदेश में एक भू कानून लागू किया गया था जिसके तहत उत्तराखंड में बाहरी व्यक्ति को 500 वर्ग मीटर आवासीय भूमि और 12.5 एकड़ सशर्त औद्योगिक भूमि खरीदने का प्रावधान था । जिसमें आगे चलकर कई प्रावधान हुए और 2018 में संशोधन के तहत त्रिवेंद्र सरकार ने इस भू कानून में बाहरी व्यक्ति को 250 वर्ग मीटर आवासीय भूमि खरीदने का अधिकार दिया गया था।
जिसमें औद्योगिक भूमि खरीदने के लिए सीमा को भी हटा दिया गया जिसके कारण प्रदेश में कई बिल्डर में जमीनों को खरीदा और यहां रियल स्टेट का कारोबार तेजी से विकसित हुआ हालांकि 2 दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में उन संपत्तियों की जांच करने का फैसला किया है।
जिन्हें किसी प्रयोजन के लिए सरकार से अनुमति लेकर खरीदा गया था लेकिन उन्हें उसे प्रयोजन के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया सरकार ने साफ कर दिया कि ऐसी जमीनों को जांच के बाद सरकार के अधीन कर लिया जाएगा वहीं सरकार उन संपत्तियों की जांच की हुई बात कर रही है जो 250 वर्ग मीटर के दायरे में तो खरीदी गई लेकिन एक ही व्यक्ति ने दो या उससे ज्यादा जगहो पर जमीनें खरीदी हैं। सख्त भू कानून की मांग राज्य गठन के बाद से हो रही है जिस पर एनडी तिवारी सरकार के समय एक भू कानून तैयार किया गया था जिससे प्रदेश में लागू की किया गया लेकिन सरकारी बदलती रही है
और इस कानून में अपनी सहूलियत के तहत बदलाव होते रहे हैं जिसके कारण आज भी प्रदेश में सख्त भू कानून को लागू करने की मांग की जा रही है जिस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में अवैध रूप से खरीदी गई जमीनों की जांच की जाएगी वहीं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भी कहा है कि उत्तराखंड में भू कानून जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया जाएगा।